शेखचिल्ली की कहानी : रेल गाड़ी का सफर | Sheikh Chilli Ke Train Ka Safar In Hindi

शेखचिल्ली चंचल स्वभाव के लिए जाना जाता है। शेख की  हर नौकरी नादानी, शैतानी या चंचलता के कारण छूट गई थी। था। एक दिन उसके मन में हुआ कि अब यहां नौकरी करने से कुछ नहीं होगा, सीधे मुंबई जाना पड़ेगा। 

शेखचिल्ली के रेल गाड़ी के सफर से जुड़ा चित्र
मुंबई जाकर हीरो बनने के लिए शेखचिल्ली ने रेल का टिकट ले लिया। यह शेखचिल्ली का पहली रेल यात्रा थी, इसलिए वो बड़ा खुश था। रेलवे स्टेशन पहुंचकर शेखचिल्ली अपनी ट्रेन की पहली क्लास की बोगी में चढ़ गया। वहां ठाट से शेख बैठ गया। 


फर्स्ट क्लास की बोगी में शेखचिल्ली बैठा था, इसलिए बोगी खाली थी। शेखचिल्ली ने मन में सोचा कि बेकार ही लोग रेल को भीड़भाड़ वाला बताते हैं, ये तो खाली है। नादान शेखचिल्ली को पता ही नहीं था कि वो फर्स्ट क्लास की बोगी है और उसकी टिकट फर्स्ट क्लास की नहीं है।


अकेले बैठे-बैठे थोड़ी ही देर में शेखचिल्ली बोर हो गया। उसका मन चंचल था, इसलिए वो अकेले और एक जगह में बिल्कुल नहीं टिक पाता था। उसके मन में था कि बस की तरह ट्रेन भी रुकते हुए चलेगी और वो टहलता रहेगा जब-जब ट्रेन रुकेगी। लेकिन ट्रेन रुक ही नहीं रही थी, इससे परेशान होकर शेखचिल्ली रेल में चिल्लाने लगा।


जोर-जोर से शेखचिल्ली कहता, “इस ट्रेन को रोको कोई।” 


ट्रेन भला कहा रुकने वाली थी, गुस्से में शेखचिल्ली मुँह फुलाकर बैठ गया। बहुत देर बाद एक स्टेशन पर ट्रेन रुकी। शेखचिल्ली तेज़ी से बाहर निकलने लगा। उसी वक़्त उसने एक रेलवे कर्मी को देखा। उसे आवाज़ देकर शेखचिल्ली ने अपने पास बुला लिया। 


वो शेखचिल्ली के पास गया और पूछा, “क्या हुआ?”


शेखचिल्ली ने शिकायती अंदाज में पूछा, “इस ट्रेन को मैं कब से रोकने के लिए कह रहा हूँ, ये रुकती ही नहीं। बस तो आवाज सुनते ही रुक जाती है। इस ट्रेन के ड्राइवर ने मेरी आवाज़ सुनकर भी ट्रेन क्यों नहीं रोकी?”


रेलवे कर्मचारी ने हँसते हुए जवाब दिया, “भाई ये ट्रेन है, बस नहीं। बस से ट्रेन एकदम अलग होती है। ये बस की तरह हर जगह नहीं रुकती। इसकी रुकने की जगह पहले से ही तय होती है।”


शेखचिल्ली को यह सब नहीं पता था, लेकिन उसके मन में हुआ कि ये मुझे बेवकूफ न समझ ले, इसलिए जवाब में कहा, “हां, मुझे ये सब पहले से ही पता है। देख रहा था, तुम्हें कितना मालूम है।”


गुस्से में रेलवे कर्मचारी शेखचिल्ली को नॉनसेंस (Nonsense) कहते हुए अपने रास्ते चला गया।


शेखचिल्ली को अंग्रेजी का यह शब्द समझ तो नहीं आया, लेकिन उसके दिमाग में नून शब्द बैठ गया। उसे लगा कि रेलवे कर्मी ने उसे नून कहा। जवाब में शेखचिल्ली बोला, “हम सिर्फ नून (नमक) नहीं, बल्कि पूरी दावत खाते हैं। फिर हँसते हुए अपनी सीट पर बैठ गया।  

51+ नवरात्रि शायरी - Navratri Shayari in Hindi | नवरात्रि पर कोट्स | शुभ नवरात्रि स्टेटस

नवरात्रि पर्व आते ही आसपास एक अलग ही चहल-पहल और खुशी दिखने लगती है। इस त्योहार के पूरे नौ दिन माता रानी के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। भक्त जोर-शोर से जगराता करते हुए एक दूसरे को नवरात्रि की बधाई भी देते हैं। 

आप भी बधाई देने के लिए कुछ खास नवरात्रि शुभकामना संदेश और नवरात्रि शायरी खोज रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए है। यहां नवरात्रि स्पेशल शायरी और नवरात्रि कोट्स का एकदम नया कलेक्शन है।

आइए, पढ़ते हैं नवरात्रि स्पेशल शायरी व शुभाकामनाएं मैसेज।

नवरात्रि स्पेशल शायरी | Navratri Quotes in Hindi | नवरात्रि की शुभकामनाएं शायरी

नवरात्रि साल में दो बार आती है। जैसे ही नवरात्रि का समय शुरू होता है मैसेज में पुराने बधाई संदेश आने लग जाते हैं। अगर आप इन मैसेज से ऊब गए हैं और अपने रिश्तेदारों को नए नवरात्रि कोट्स, शायरी और शुभकामना संदेश भेजना चाह रहे हैं, तो इस लेख को आगे पढ़ें।

  1. सुबह की शुरुआत नवरात्रि की बधाई के साथ,
    इस पावन पर्व पर अपने हो अपनों के साथ,
    आपके परिवार वालों पर रहे माता रानी का हाथ,
    हर सुबह की शुरुआत करें माता रानी के नाम के साथ।
  1. सूरज की किरण, बसंत का बहार,
    मुबारक हो ये नवरात्रि का त्योहार,
    जीवन में आए खुशियों का उपहार,
    आपका हर दिन बन जाए त्योहार।
  1. हर दिन मां का आशीर्वाद मिले,
    जीवन में खुशियों के फूल खिले।
    नवरात्रि की शुभकामनाएं!
  1. मां दुर्गा पर आस्था रखो, हर तकलीफ दूर हो जाएगी,
    जो भी तुम चाहोगे वो और सारी जहां की खुशियां मिल जाएंगी।
  1. माता रानी अंधेरे में रास्ता दिखाएगी,
    जीवन की जरूरी सीख सिखाएगी,
    जब उनकी परीक्षा में खरे उतरोगे,
    तब जीवन में हर खुशी मिल जाएगी।
  1. इस नवरात्रि में मां दुर्गा आपके घर आएं,
    साथ में अपने खुशियां व समृद्धि लाएं,
    हर परेशानी और मुसीबत दूर हो जाए,
    मेरी तरफ से आपको नवरात्री की शुभकामनाएं।
  1. मां दुर्गा के आगमन से दुख दूर हो जाते हैं,
    मां को पूजने वाले असीम सुख पाते हैं।
  1. समाज के लोगों को राह दिखाती है,
    कभी दुर्गा तो कभी काली बन जाती है,
    उनके हर रूप में मां की ममता है,
    तभी तो वो जगत माता कहलाती है।
  1. स्त्री देवी की मूर्त होती है, हर स्त्री में मां दुर्गा होती है,
    इसके लिए लोगों को अच्छी नजर से देखने की जरूरत होती है।
  1. संत ज्ञानी सभी यही देते हैं उपदेश,
    मां की पूजा से दूर हो जाते हैं क्लेश,
    नवरात्रि के इस पवन अवसर पर,
    हमारा यही है प्यारा-सा संदेश।
    नवरात्रि सन्देश शायरी!
  1. मन में संदेह नहीं रखना मां दुर्गा सबकी सुनती है,
    अपने हर बच्चे के लिए खुशियों की राह बुनती है।
  1. आपकी सारी जरूरत पूरी हो जाए,
    आपके घर में ढेर सारी खुशियां आए,
    माता रानी सुन ले आपकी दुआएं,
    हमारी ओर से आपको नवरात्रि की शुभाकामनाएं।
  1. मां दुर्गा की आंखों में है दिव्य नूर,
    जो कर देता है हर संकट को दूर।
    नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!
  1. मां दुर्गा की छवि है निराली,
    आपके घर में लाए खुशहाली,
    कल से है नवरात्रि का त्योहार
    तो सजा लो फूलों की थाली।
  1. आपकी सारी मनोकामनाएं हों पूरी,
    कोई भी ख्वाहिश न रहे अधूरी,
    इस नवरात्रि के पवन पर,
    मां दुर्गा की आरती है सब के लिए जरूरी।
Navratri Quotes in Hindi 
  1. माता रानी से है मेरी ये विनती कि आपको रखे खुश,
    कभी न आए आपके और परिवार के जीवन में कोई दुख।
  1. सारा जहान है मां दुर्गा की शरण में,
    मेरा नमन है उस मां के चरण में,
    मैं उनसे प्रार्थना करता हूं उनसे,
    कि आपको कामयाबी दे जीवन में।
  1. मां के चरण छूकर आशीर्वाद ले,
    होगी बुरी आदत तो उसे दूर कर ले,
    माता रानी के भक्ति भावना में ही,
    अपने पूरे जीवन को गुजार ले।

पढ़ते रहें नवरात्रि शायरी हिन्दी में

  1. खुद को मां दुर्गा की शरण में लाना है,
    द्वेष और क्लेश से दूर हो जाना है,
    फिर एक बार नवरात्रि का पर्व आया है,
    जिसे हमें धूम-धाम से मानना है।
  1. जिसने भी माता रानी के चरणों में सिर झुकाया है,
    उन सबने अपने जीवन में अच्छा मुकाम पाया है।
  1. मां दुर्गा अपने सभी भक्तों पर,
    एक-समान ममता दिखाती है,
    उनके शरण में आने पर,
    हर तकलीफ दूर हो जाती है।
  1. आसमान की बुलंदियां हासिल हो जाएगी,
    बिना पंख के ही उड़ने के काबिल हो जाएगी,
    जब खुद के जीवन में मां दुर्गा को लाएगी।
  1. आंखों में मां दुर्गा की छवि बसा लो,
    हर गली और मोहल्ले को सजा लो,
    आ गया है मां के नवरात्रि का त्योहार,
    माता के जगराते की तैयारी कर लो।
  1. श्रद्धालुओं के हर दुख दूर कर देती है,
    उनके जीवन में अपार सुख ला देती है,
    मां दुर्गा को अपने भक्तों की फिक्र रहती है।
  1. बिन मांगे ही दुनिया में सब मिल जाएगा,
    जब तू मां दुर्गा की शरण में जाएगा,
    जितने भी तेरे राह में काटे आएंगे,
    वो सब खुद-ब-खुद दूर हो जाएंगे।
  1. नवरात्रि की शुभकामनाएं,
    घर पर बहुत खुशियां आएं,
    जीवन से गम दूर हो जाएं,
    ऐसी माता की कृपा हो जाए।
    हैप्पी नवरात्रि!
  1. दूर करेगी हर गम,
    मां के ही तो पुत्र हैं हम,
    कभी आंखों को न होने देगी नम,
    ऐसी मां के चरणों में मेरा नमन।
  1. दुनिया की पालनहार है माता रानी,
    स्वर्ग की द्वार है माता रानी,
    श्रद्धालुओं का आधार है माता रानी,
    जीवन का उपहार है माता रानी।
  1. दुख मिटाने के लिए अवतार लिया है,
    भूखे को खाना और प्यासे को पानी दिया है,
    हर सच्चे भक्त की मनोकामना को पूरा किया है,
    मां दुर्गा ने हर किसी के सिर पर अपना हाथ रखा है।
  1. हम सबकी रक्षा करती है,
    हमारे लिए बुराई से लड़ती है,
    हम उनकी ही संतान हैं,
    तभी तो मां जैसी परवा करती है।
  1. मुक्ति मिल जाएगी हर बुराई से,
    दिन में चार बार मां दुर्गा का नाम लेने से,
    उनके नाम को ही कामयाबी की सीढ़ी मान लेने से।

आगे हैं नवरात्रि स्टेटस हिंदी

  1. माता रानी का आशीर्वाद हो,
    खुशियां आपके साथ हो,
    जब सामना हो मुसीबत से,
    तब मां दुर्गा आपके पास हो।
  1. मां दुर्गा का आपके सिर पर हाथ हो,
    हर लम्हा मां के होने का एहसास हो,
    इस नवरात्रि के शुभ अवसर पर
    आपके और परिवार का हर सपना साकार हो।
  1. आप और आपका परिवार खुश रहे,
    जीवन की हर परेशानी दूर रहे,
    आपके परिवार पर माता रानी का हाथ रहे।
  1. भले ही कुछ न चढ़ाओ माता रानी की थाली में,
    बस कभी न लाओ मां का नाम किसी गाली में।
  1. मां दुर्गा की दया है निराली,
    ला देती है जीवन में खुशहाली,
    उनके शरण में आने पर
    कभी नहीं होती जीवन की रात काली।
  1. खुशियों से झोली भर देती है,
    अधूरे काम पूरा कर देती है,
    मां की शरण में जाने से वो,
    जीवन सफल कर देती है।
  1. भक्ति भावना कम नहीं करना,
    मां के होते आंखें नम नहीं करना,
    जब भी होने लगे कोई परेशानी,
    तब-तब मां दुर्गा का नाम ले लेना।
  1. जीवन से हर पीड़ा हर लेगी,
    खुशियों से जीवन भर देगी,
    मां है वो हम सबकी प्यारी,
    हमारी हर इच्छा पूरी कर देगी।
  1. मां दुर्गा की ज्योति में नूर है,
    मिलता दिल को सुकून है,
    वो हर साल हमारे घर आती है,
    इस बात पर मुझे गुरूर है।

नवरात्रि पर शायरी का सिलसिला जारी है

  1. दिल में उनके लिए आस्था रख,
    जुबां पर मां दुर्गा का नाम रख,
    उनकी महिमा पर भरोसा रख,
    कभी भी मां के चमत्कार पर न करना शक।
  1. माता रानी का द्वार है जन्नत का रास्ता,
    उन्हें अपने सभी भक्तों से है वास्ता,
    मां दुर्गा की दया से खुल जाएगा,
    सबके जीवन में कामयाबी का रास्ता।
  1. मां की मूर्त में है खुशियों का संसार,
    खूब सुंदर सजा है मां का दरबार,
    आज मेरा मन है बहुत खुश,
    क्योंकि मां दुर्गा आई है हमारे द्वार।
  1. सब के मन को पावन करती है,
    हर भक्तों की परवाह करती है।
    नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!
  1. सूरज ने चांद से कहा,
    जमीन ने असमान से कहा,
    फूलों ने भवरों से कहा,
    हम आपसे कहते हैं।
    हैप्पी नवरात्रि!
  1. खुशी में हूं जीवन में कोई गम नहीं है,
    मां दुर्गा की भक्ति दौलत से कम नहीं है।
  1. धन दौलत नहीं चाहिए,
    भक्ति मां की चाहिए,
    मां आई है हमारे घर
    आप भी घर आइए।
  1. मां के छत्र छाया में रहना है,
    जय माता दी-जय माता दी कहना है,
    पूरे दिन मां की भक्ति में लीन रहना है,
    नवरात्रि में मां के लिए उपवास रखना है।
  1. भक्तों के भय को दूर करता है मां दुर्गा का रूप,
    छाव में रखती है भक्तों को नहीं लगने देती धूप।
  1. शेर पर सवार रहती है,
    मां दुर्गा जिसे दुनिया कहती है,
    उन्हें अपने हर भक्त की परवाह रहती है।
    शुभ नवरात्रि!
  1. मां दुर्गा के चमत्कार का बखान करो,
    सुबह शाम मां के नाम का जाप करो,
    नवरात्रि का शुभ दिन है आया,
    अपने लोगों को हैप्पी नवरात्रि विश करो।
  1. आपके घर में मां लक्ष्मी का निवास हो,
    गणेश जी और सरस्वती भी साथ हों,
    हर पल जीवन में खुशियों का एहसास हो,
    आपके और परिवार के ऊपर मां का आशीर्वाद हो।

पढ़ना जारी रखें नवरात्री कोट्स

  1. जीवन प्रकाशमय हो जाए,
    हर अंधकार दूर हो जाए,
    हर नवरात्रि माता रानी,
    आपके घर यूं ही आए।
  1. मां की रोशनी से जीवन में प्रकाश है,
    वो ही मेरी धरती और आकाश है,
    माना की हम उन्हें देख नहीं पाते,
    पर मां दुर्गा हम सब के साथ है।
  1. आपके घर में मां दुर्गा का निवास हो,
    परिवार में सबका जीवन खुशहाल हो।
    हैप्पी नवरात्रि!
  1. संकट को दूर कर देती है,
    समृद्धि से जीवन भर देती है,
    अपने भक्तों की मनोकामना,
    बिन बोले पूरी कर देती है।
  1. सुख-शांति का वास होता है,
    जिधर भी मां का निवास होता है,
    मां पर भरोसा रखने वाला व्यक्ति
    कभी भी गम के आंसू नहीं रोता है।
  1. मां अपने चरणों में स्थान दें,
    जीवन खुशियों से भर दें,
    हम प्रार्थना करते हैं आपसे,
    मेरे मित्र का दुख हर ले।
  1. मां के दर्शन पाकर भाग्य जगाएं,
    नवरात्रि का त्योहार है आया,
    इसे धूम-धाम से मनाएं,
    रात में घर के दरवाजे पर दीप जलाएं।

आगे और हैं नवरात्रि की शायरी

  1. मन से पाप को निकाल लें,
    सबसे हंसकर बात कर लें,
    इस जीवन को मां की भक्ति में बिता दें।
  1. सोये भाग्य को जगाती है,
    मुसीबत को दूर भगाती है,
    हर साल नौ दिन के लिए
    मेरी माता रानी घर आती है।
  1. मां के चरणों में है दुनिया का सारा सुख,
    उनके शरण में जाते ही दूर हो जाता है दुख।
  1. नवरात्रि में उपवास रखते हैं,
    मां पर हम विश्वास रखते हैं,
    आपकी सारी मनोकामना पूरी हो,
    ऐसी हम मां से दुआ करते हैं।
  1. माता रानी के चरणों की धूल में मेरा संसार है,
    नवरात्रि का पर्व भक्तों के लिए उपहार है।
  1. अंधेरे में रोशनी दिखा देना,
    गलत करूं तो सबक सिखा देना,
    पर कभी हाथ न छोड़ना मां
    बुराई से अच्छाई की ओर ला देना।
  1. इंतजार का समय खत्म हुआ,
    माता रानी शेर पर सवार होकर आ गई,
    उनके आने से हर तरफ खुशियां छा गईं।
  1. जीवन में खुशी के फूल खिले,
    हर काम में कामयाबी मिले,
    न करना पड़े कभी दुख का सामना,
    आपको नवरात्रि की हार्दिक शुभकामना!
  1. दीपक जलाओ खुशियां मनाओ,
    नवरात्रि का पर्व आया है,
    झूमो-गाओ, नाचो और नचाओ,
    पर कभी किसी को चोट न पहुंचाओ।
  1. मां दुर्गा खुशियों से भर दे जीवन तुम्हारी,
    पूरी हो सबकी कामना, ये प्रार्थना है हमारी।
  1. जीवन की ज्योति है मां,
    खुशियों की मोती है मां,
    हमेशा साथ रहना हमारे
    यही आपसे प्रार्थना है मां।
  1. सच्चे मन से बुलाओ तो मां दुर्गा दौड़ी चली आती है,
    मां है न, बेटे के पुकार पर खुद को नहीं रोक पाती है।
  1. मां का है त्योहार,
    मां का है चमत्कार,
    नौ हैं इनके अवतार,
    करती है भक्तों पर उपकार।
  1. दिव्य है मां का रूप,
    पूजनीय है इनका स्वरूप,
    भर देती है खुशियों का कूप,
    नहीं लगने देती गम की धूप।
  1. धूप और बाती लाए हैं,
    खीर और पुड़ी भी बनाए हैं,
    देवी के रूप में कन्या घर बुलाई हैं,
    सबको नवरात्रि की बधाई है।
  1. हम कन्या भी पूजेंगे,
    हम भैरव भी पूजेंगे,
    नवरात्रि का त्योहार है,
    हम भक्ति में झूमेंगे।
  1. हर घर पूजा की थाली सजी है,
    हर पंडाल में मां की धूम मची है,
    हर साल की तरह इस साल भी,
    मां दुर्गा सबके घर पधारी हैं।
  1. मां के हाथ में त्रिशूल है,
    मां ही जीवन की मूल हैं,
    न समझना खुद को ज्ञानी,
    हम सब उनके पैरों की धूल हैं।
  1. पूजनीय है मां हमारी, सबसे है वो प्यारी,
    उनकी सेवा में ही बीत जाए जिंदगी मेरी।
    नवरात्रि की बधाई!

नवरात्रि में होने वाली धूमधाम किसे पसंद नहीं। इस त्योहार को और भी खास बनाने के लिए नवरात्रि शायरी मदद कर सकती हैं। इस लेख में हमने खास आपके लिए नवरात्रि के पहले दिन से लेकर आखिर दिन के दुर्गा पूजन तक के लिए नवरात्रि शायरी और नवरात्री कोट्स लिखे हैं। बस तो इस पर्व को मनाने के लिए सभी मां दुर्गा के भक्तों को ये नवरात्री कोट्स और शायरी भजें और उनकी भक्ति में रम जाएं।

Happy Holi 2023: होली पर शायरी और बधाई संदेश

होली का दिन आने से पहले ही लोगों पर इस त्योहार का खुमार चढ़ने लगता है। बच्चों से लेकर बूढ़े सभी गुलाल, गुजिया, पिचकारी और ढेर सारी खुशियां लेकर आने वाली होली खेलने के लिए उत्साहित रहते हैं। इस त्योहार को और शानदार बनाने के लिए आप अपने रिश्तेदारों और अन्य अजीज लोगों को इन लेटेस्ट हैप्पी होली शायरी और बधाई संदेश की मदद से शुभकामनाएं दे सकते हैं।

Holi 2023: होली के अवसर पर शायरी और बधाई संदेश - Holi Wishes Quotes in Hindi

आप होली पर रंग खेलते हुए, लोगों से गले मिलते हुए भी शायराना अंदाज में बधाई दे सकते हैं। होली पर शायरी का उपयोग रंग खेलने के बाद या खेलते समय महफिल जमाने के लिए भी किया जा सकता है। चलिए, शुरू करते हैं होली पर शायरी -

  1. रंगों का त्योहार,
    अपनों का प्यार,
    मेरी तरफ से मुबारक हो,
    ये होली का त्योहार।
    हैप्पी होली 2023!
  1. होली को खुशी-खुशी मनाना है,
    अपनों से खुलकर प्यार जताना है,
    जो भी गिले-शिकवे हैं अपनों के बीच,
    उन सबको इस होली भूलाना है।
    होली का त्योहार मुबारक हो!
  1. गुलाल उड़ रहे हैं,
    खुशी से लोग झूम रहे हैं,
    इस खुशी के मौके पर,
    हम हैप्पी होली कह रहे हैं।
  1. होली जीवन में खुशियां लाए,
    हर तकलीफ को जड़ से मिटाए,
    हम प्रार्थना करते हैं कि इस होली,
    आपकी मनोकामनाएं पूरी हो जाएं।
    होली मुबारक हो!
  1. हंसी खुशी त्योहार मनाना है,
    रूठों को इस होली मनाना है,
    हमने आपके लिए घर में पकवान बनाए हैं,
    आज के दिन आपको हमारे घर आना है।
    होली की बधाइयां!
  1. हर पल खुश रहो,
    प्यार की हो बरसात,
    इस होली मिट जाए जीवन से,
    दुख की काली रात।
    होली की शुभकामनाएं!
  1. घर पर आपका इंतजार करेंगे,
    आप आ जाओ गुब्बारों से लड़ेंगे,
    थोड़ा आप रंग लगाना,
    थोड़ा हम रंग लगाएंगे,
    साथ में जमकर होली मनाएंगे।
    हैप्पी होली!
  1. खुशियों की बहार हो, आपस में प्यार हो,
    चेहरे पर हमेशा आपकी मुस्कान हो,
    ऐसा प्यारा आपका हर त्योहार हो।
    आज के दिन होली मुबारक हो!
  1. सब दूख दूर हो जाएं,
    जो चाहो वो मिल जाए,
    ये होली आपके जीवन में
    नई आशा लेकर आए।
    Happy Holi 2023!
  1. रंगों से सब खेल रहे हैं,
    खुशी-खुशी सब मिल रहे हैं,
    होली का त्योहार है,
    इसलिए खुशी से सब झूम रहे हैं।
    हैप्पी होली!
  1. हर तरफ ढोल नगाड़े बज रहे हैं,
    होली के लिए पंडाल सज रहे हैं,
    सबको एक जगह आना है,
    प्यार से होली मनाना है।

दोस्तों के लिए मजेदार होली बधाई संदेश - Holi Wishes in Hindi for Friends

Holi Wishes in Hindi - हैप्पी होली इमेज
होली की मस्ती में लोग / स्रोत - पिक्सेल
  1. प्यार के रंगों और खुशियों की पिचकारी वाली ये होली आपके पूरे परिवार को मुबारक हो।

  2. होलिका दहन के साथ दहन हों सारी तकलीफें, दूर हों सारे दुख और खुशियों के नए फूल खिलें।
    हैप्पी होली!

  3. भगवान मेरी ये फरियाद कबूल करे, आज होली का पहला गुब्बारा तेरे सिर पर आ गिरे। होली की बधाइयां दोस्त!

  4. सुरक्षित हो आपकी होली, जुबां पर हो हमेशा की तरह गुजिया-सी मीठी बोली। रंगों के त्योहार की शुभकामनाएं!

  5. न कल की थी, न आज करेंगे लड़ाई, लेकिन इस होली पर गुब्बारों से खूब करेंगे तेरी धुलाई। हैप्पी होली यारा!

  6. भेदभाव मिटाकर एक साथ रहना है, आज एक-दूसरे को प्यार से हैप्पी होली कहना है।
  1. बैरी को भी प्यार से गले लगाना है, इस होली गिले-शिकवों को भूल जाना है। होली की बधाई!

  2. दोस्ती का साथ यूं ही निभाना, होली में खुशी से झूमते हुए नाचना और गाना। हैप्पी होली!

  3. भले ही आपको सुकून न मिले, आपका दिल जले, लेकिन दोस्त आज आप पर खूब रंग मलें।
  1. होली के रंगों के संग, जीवन में प्यार के रंग भर जाएं,
    आपके जीवन से हर परेशानी कोसों दूर चली जाए।
    Happy Holi 2023!
  1. होली में गोली मत देना, रंग खेलने जरूर आना, वरना हम आएंगे तो रंग में डुबोकर जाएंगे। हैप्पी होली रंग से डरने वाले दोस्त!

  2. पिचकारी, रंग और गुब्बारे सब हैं तैयार, बस दोस्त तेरा है इंतजार, आजा साथ मनाएं होली का त्योहार।

  3. दोस्त आज तुझपर प्यार लुटाना है, तुझे खूब रंग लगाना है, रंग-बिरंगे पानी से भरी पिचकारी से भिगोना है, पूरे साल का बदला आज ही लेना है।

  4. तेरी प्याली में थोड़ी भांग घोली है, फिजा में थोड़ी मस्ती जोड़ी है, बुरा न मानो होली है!

अपनों को इस होली पर शायरी और बधाई संदेश (Holi wishes quotes) भेजकर खुशियां बांटें और खुद भी मुस्कुराते रहें, क्योंकि होली है। आप इन संदेश व शायरियों को होली स्टेटस (holi status in hindi) के रूप में भी लगा सकते हैं। आपको होली की ढेर सारी शुभकानाएं। हैप्पी एंड सेफ होली 2023!

Panchtantra ki Kahani : खटमल और जूं | Khatmal Aur Joon Story in Hindi

स्वयंभू नाम के राज्य में राजा शेरगढ़ रहते थे। उनके कमरे में एक जूं  छुपकर रहती थी। उस जूं का नाम मंदरीसर्पिणी था। रात को जैसे ही राजा गहरी नींद में चला जाता, जल्दी से मंदरीसर्पिणी जूं राजा का खून चूस लेती थी। उसके बाद दोबारा छुप जाती।

कुछ दिनों बाद राजा के उसी कमरे में एक अग्निमुख नामक खटमल आ गया। मंदरीसर्पिणी जूं ने राजा के कक्ष को अपना क्षेत्र बताते हुए उसे वहां से किसी दूसरी जगह जाने को कहा। जूं बोली, मैं यहां तुम्हारा किसी तरह का दखल सहन नहीं करूंगी।

खटमल बड़ा चालाक था। उसने कहा, "मैं तुम्हारे इलाके में आया हूं, तो मैं तुम्हारा मेहमान हुआ। तुम इस तरह व्यवहार मत करो। आज रात मुझे मेहमान की तरह यहां रहने दो। कल मैं यहां से चला जाऊंगा।" 

मंदरीसर्पिणी जूं थोड़ी भोली थी। वो खटमल की प्यार भरी बातों में आ गई और कहा, "ठीक है! मैं तुम्हें यहां आज रात रुकने देती हूं। बस तुम राज का खून मत चूसना। एक मेहमान की तरह ही रहना।" 

खटमल ने पूछा, ‘‘तुम अपने मेहमान को भूखा रखोगी? मैं खाने में क्या खाऊंगा। राजा के खून के अलावा मुझे क्या मिलेगा?’’

कुछ देर सोचने के बाद जूं कहने लगी, ‘‘ठीक है! तुम अपनी भूख को शांत करने के लिए थोड़ी देर राजा का खून चूस लेना। बस उन्हें दर्द का एहसास नहीं होना चाहिए।’’

जूं की बातों पर सहमत होकर खटमल राजा के इंतजार में कमरे के एक कोने में बैठ गया। थोड़ी ही देर में राजा खाना खाकर सोने के लिए अपने कमरे पर पहुंचा। 

राजा जैसे ही पलंग पर लेटा खटमल उसके पास पहुंच गया। कुछ देर बाद खटमल ने राजा का खून चूसना शुरू कर दिया। खटमल का पेट तो भर गया था, लेकिन उसे राजा के खून का स्वाद बड़ा अच्छा लगा। 

अब खटमल ज्यादा खून चूसने के लिए राजा को जोर-जोर से काटने लगा। राजा को खटमल के जोर से काटने पर खुजली और हल्का दर्द होने लगा। गुस्से में राजा ने अपने सारे सेवकों को बुलाकर खटमल को ढूंढने का आदेश दिया।

खटमल चालाक था, इसलिए वो तेजी से पलंग की ओट पर छुप गया। सिपाहियों ने राजा के बिस्तर पर जूं को देखा और उसे मार डाला।

अब रोज खटमल बड़ी होशियारी से राजा का खून चूसता और शान से राजा के कमरे पर रहता था। अब उसे टोकने के लिए जूं भी जिंदा नहीं थी।

कहानी से सीख - किसी की भी जरूरत से ज्यादा प्यार भरी बातों को सुनकर सतर्क हो जाना चाहिए। ज्यादा मिठास हानिकारक होती है।  

Bachon ke liye Geeta ke shloka in Hindi

महाभारत युद्ध का आरम्भ होने के पहले श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए उसे श्रीमद्भगवद्गीता कहते हैं। गीता में कुल 18 अध्याय और 720 श्लोक हैं। गीता के कुछ प्रसिद्ध श्लोक इस प्रकार हैं -  

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 7)

जब-जब धर्म की हानि होगी और अधर्म की वृद्धि होगी, तब-तब मैं (श्रीकृष्ण) अवतार लेता रहूँगा। 

यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥

(तृतीय अध्याय, श्लोक 21)

श्रेष्ठ व्यक्ति का आचरण जैसा होता है, वैसा ही आचरण दूसरे इंसान करने लगते हैं। श्रेष्ठ पुरुष जैसा उदाहरण पेश करते हैं, सारा समाज उसी का अनुसरण करने लग जाता है।

नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत॥

(द्वितीय अध्याय, श्लोक 23)

आत्मा को न शस्त्र काट सकता है, न आग जला सकती है, न पानी भिगो सकता है, न हवा सुखा सकती है। अर्थ यह है कि आत्मा अमर है।

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन:।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 47)

कर्तव्य-कर्म ही तेरा अधिकार है, फल नहीं। तुम कर्म फल को मत सोचो और कर्म न करने में भी आसक्त न रहो।

ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 62)

विषयों वस्तुओं के बारे में सोचने से मनुष्य को आसक्ति होती है। इससे इच्छाएं पैदा होती हैं और कामनाओं में विघ्न आने से क्रोध उत्पन्न होता है।

क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 63)

क्रोध से मनुष्य की मती मारी जाती है, मति भ्रष्ट होने से स्मृति भ्रमित होती है। स्मृति-भ्रम होने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट होती है। बुद्धि का नाश होने पर मनुष्य खुद का नाश कर बैठता है।

पंचतंत्र : दुष्ट सर्प और कौवे की कहानी | Dusht Sarp Aur Kauve ki Kahani in Hindi

सोमपुर नाम के एक जंगल में बेहद पुराना बरगद का पेड़ था, जिसमें एक कौआ और उसकी पत्नी रहते थे। दोनों पति-पत्नी बड़े खुश थे। 

एक दिन बरगद के पेड़ के एक खोखले तने पर एक जहरीला सांप आ गया। सांप को वह जगह अच्छी लगने लगी, तो वही रहने लगा। 

एक दिन कौवे की पत्नी ने कुछ अंडे दिए। सांप को जैसे ही पता चला उसने वो अंडे खाकर अपना पेट भर लिया। सांप हमेशा इसी तरह कौवे के अंडे खा लेता था।

कौआ और उसकी पत्नी समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर कौन है, जो उनके साथ ऐसा कर रहा है। एक दिन कौवा और उसकी पत्नी दाना चुग कर बाहर घोंसले में लौटे। तभी उन्होंने देखा कि एक सांप उनके अंडे पर झपट रहा है।

पति-पत्नी अंडे बचा तो नहीं पाए, लेकिन कौवे ने अपनी पत्नी से कहा, "देखो! अब हमें दुश्मन का पता चल गया है। भले ही हम इन्हें नहीं बचा पाए, लेकिन आगे अपने बच्चों को बचा लेंगे।"

"हम अपना घोंसला सबसे ऊंची टहनी में बनाएंगे। इससे अंडे सुरक्षित रहेंगे। वहां सांप नहीं आएगा, क्योंकि उसे चील का डर रहेगा। 

कौवे की बात उसकी पत्नी ने मान ली। उन्होंने ऊंची टहनी में घोंसला बना लिया। कुछ समय बाद उन्होंने वहां अंडे दिए और उससे बच्चे भी निकल आए। दोबारा कौवों का जोड़ा खुशी-खुशी रहने लगा।

सांप को लगा कि उसके डर से कौवे उस पेड़ से चले गए। रोज कौवे और उसकी पत्नी को उसी बरगद पेड़ में आते हुए देख कुछ दिनों बाद सांप समझ गया कि ये यही रहते हैं।

एक दिन सांप पेड़ पर उनका घोंसला ढूंढते हुए ऊंचाई पर पहुंच गया। वहां कौवे के तीन छोटे-छोटे बच्चे थे, उन्हें वो सांप तेजी से खा गया।

कौआ और उसकी पत्नी जब लौटी, तो घोंसले में बच्चों के छोटे-छोटे पंख बिखरे हुए देखकर दोनों रोने लगे। कौवे की पत्नी ने कहा, "इसी तरह हमारे बच्चे को यह हमेशा खा जाएगा। हमें यहां से कही दूर चले जाना चाहिए।"

कौआ अपनी से बोला, "डरकर कहीं भाग जाना किसी समस्या का समाधान नहीं है। हमें अपने मित्र लोमड़ी के पास जाकर कोई उपाय पूछना चाहिए।"

दोनों लोमड़ी के पास गए और सांप की सारी हरकतों के बारे में बता दिया। लोमड़ी ने दोनों को हल्की आवाज में एक तरकीब बताई और कहा कि इसे कल ही अंजाम दे देना। 

अगले दिन कौवा सीधे उस सरोवर में पहुंचा जहां उस प्रदेश की राजकुमारी आती थी। वो अपनी सहेलियों के साथ वहां पानी में खेल रही थी। कौवे ने मौका देखकर राजकुमारी का सबसे पसंदीदा मोती का हार मुंह में दबा लिया।

जब राजकुमारी की सहेली ने उसे देखा, तो कौवा हल्की गति में आसमान में उड़ने लगा। राजकुमारी की सखी ने चिल्लाते हुए यह बात सिपाहियों को बताई। सिपाही कौवे का पीछा करते हुए बरगत के पेड़ के पास तक पहुंच गए।

कौवे ने बड़ी चालाकी से मोती का हार बरगद के उस तने पर डाल दिया, जहां सांप रहता था। माला को गिरता देख सिपाही उस तने की ओर बढ़ने लगे। 

सिपाहियों ने देखा कि वहां एक काला सांप है और उसी के पास मोती की माला गिरी हुई है। सारे सैनिक थोड़ा पीछे हुए और पेड़ के उस तने पर वार किया।

प्रहार होते ही सांप बौखलाते हुए बाहर निकला। मौका देखकर दूसरे सैनिकों ने उसे मार दिया और हार लेकर राजकुमारी को दे दिया।

इस तरह कौवे और उसकी पत्नी ने अपने दोस्त लोमड़ी की तरकीब की मदद सांप को मार दिया और अपने बच्चों की मौत का बदला ले लिया।

कहानी से सीख - बौखलाहट और दुख-दर्द में डूबे रहने से समस्या का समाधान नहीं निकलता है। इसके लिए सूझबूझ और अपनों की मदद लेनी चाहिए। 

नवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा | Navratri Katha in Hindi

एक समय की बात है, स्वर्गलोक में महिषासुर नामक दैत्य का आतंक फैला हुआ था। वह खुद को अमर करना चाहता था। इसके लिए उसने ब्रह्मदेव की कठिन तपस्या की। उसकी तपस्या से खुश होकर ब्रह्म देवता ने उससे उसकी मनोकामना पूछी। इसपर दैत्य महिषासुर ने खुद के लिए अमर होने का वरदान मांगा।

तब ब्रह्मा जी ने कहा, "ये संभव नहीं है। इस संसार में हर किसी की मौत लिखी है। तुम कोई दूसरा वरदान मांग लो।" 

ब्रह्मा भगवान की बातें सुनकर दैत्य बोला, "कोई बात नहीं।" फिर आप मुझे यह आशीर्वाद दीजिए कि मेरी मौत न किसी देवता, न किसी राक्षस और न किसी इंसान द्वारा हो। मेरी मौत किसी महिला के द्वारा हो।" ब्रह्मा जी ने उसे वरदान पूरा होने का आशीर्वाद दिया और वहां से चले गए।

इसके बाद दैत्य महिषासुर ने अपना आतंक फैलाना शुरू कर दिया। यह देख सभी देवता भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा के पास पहुंचे और उस राक्षस का अंत करने की गुहार लगाई। इसके बाद तीनों देवता ने अपनी शक्ति से एक आदि शक्ति का निर्माण किया, जिसे दुर्गा का नाम दिया गया।

देवी दुर्गा जब महिषासुर से युद्ध करने गईं तो महिषासुर उन्हें देख मोहित हो गया। उसके मन में दुर्गा से विवाह करने की इच्छा हुई। 

उसने दुर्गा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। इस पर देवी ने कहा, "अगर तुम मुझसे युद्ध में जीत जाते हो तो मैं तुम्हारा प्रस्ताव स्वीकार कर लूंगी।" 

देवी की शर्त सुनकर महिषासुर युद्ध के लिए राजी हो गया। दोनों के बीच यह लड़ाई 9 दिनों तक चली और अगले दिन यानी दसवें दिन देवी दुर्गा ने उसे मार दिया। तभी से यह नवरात्रि का त्योहार मनाया जाने लगा।

दुर्गा पूजा से जुड़ी 11 परंपराएं व मान्यताएं | Facts And Traditions Related To Durga Puja In Hindi

हिन्दू धर्म में नवरात्रि को विशेष दर्जा दिया गया है। इस दौरान हर कोई मां दुर्गा की आराधना में लीन रहता है। इस पर्व को मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं। आखिर नवरात्रि का त्योहार मनाया क्यों जाता है, इससे जड़ी परंंपराएं और दुर्गा पूजा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य यहां जानें।

सबसे पहले जानते हैं कि नवरात्र क्यों मनाया जाता है।

नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

नवरात्रि देश के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग कारणों से मनाई जाती है। यह पर्व दुर्गा पूजा के रूप में राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा के जीत का प्रतीक माना जाता है। देश के पश्चिमी भाग में गरबा और डांडिया के साथ धूमधाम से देवी दुर्गा की आराधना की जाती है। दक्षिण भारत में इसे आयुध पूजा के नाम से जाना जाता है।

चलिए अब हम आपको दुर्गा पूजा से जुड़ी मान्यता और कुछ परंपराओं के बारे में बताते हैं।

दुर्गा पूजा से जुड़ी 10+ परंपराएं व मान्यताएं | Facts And Traditions Related To Durga Puja For Kids In Hindi

नवरात्रि का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व के पीछे कई रोचक तथ्य और पारंपरिक मान्यताएं हैं। जानें दुर्गा पूजा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य व परंपराएं।

  1. 9 देवियों की पूजा - बताया जाता है कि मां दुर्गा जब महिषासुर का वध कर रही थी, तो हर दैत्य रूप को मारने में 9 दिन लगे थे। इसके लिए मां दुर्गा ने हर दिन अपना अलग रूप धारण किया और महिषासुर के सभी दैत्यों का अंत किया था। यही वजह है कि नवरात्रि 9 दिनों की होती है और हर दिन देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।
  1. मां दुर्गा की जन्म कहानी: पौराणिक कथाओं के मुताबिक, महिषासुर नामक राक्षस ने जब स्वर्ग लोग पर अपना कब्जा जमा लिया था तब वहां के सभी देवता अपनी समस्या की गुहार लेकर ब्रह्म देव, भगवान विष्णु और शिव जी के पास पहुंचे।

देवताओं के कष्टों को सुनने के बाद तीनों भगवान ने अपने शरीर में मौजूद ऊर्जा से एक आकृति का निर्माण किया, जिसमें तीनों ने अपनी शक्तियां उसमें डालीं और फिर उन्हें अपने-अपने शस्त्र भी दिए। इसके बाद उस आकृति को मां दुर्गा का नाम दिया गया। इस प्रकार से मां दुर्गा का जन्म हुआ।

  1. मां की तीन आंखें : बताया जाता है कि भगवान शिव की तीन आंखें थी। मां दुर्गा को भी शिव का आधा रूप माना जाता है। यही वजह है कि मां दुर्गा की भी तीन आंखें हैं, जो सूर्य, चांद और अग्नि का प्रतीक हैं। इसलिए उन्हें त्र्यंबके भी कहा जाता है।
  1. 8 भुजाओं का कारण : मां दुर्गा को अष्ट भुजाओं वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है।  कुछ शास्त्रों में देवी दुर्गा के दस भुजाओं का जिक्र भी मिलता है। दरअसल, हमारे वास्तु शास्त्र में 8 दिशाओं का जिक्र मिलता है। जबकि, कुछ जगहों पर 10 दिशाओं का वर्णन भी है।

इनमें पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, उत्तर पूर्वी, दक्षिण पूर्वी, दक्षिण पश्चिमी, उत्तर पश्चिमी के अलावा, आकाश की ओर, पाताल की ओर की दिशाएं भी शामिल हैं। हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक, मां दुर्गा अपने भक्तों की रक्षा हर दिशा में करती है। यही वजह है कि मां दुर्गा की 8 भुजाएं हैं और उन्हें अष्ट भुजाओं की देवी कहा जाता है।

  1. शेर की सवारी का कारण : शेर को मां दुर्गा की सवारी कहा जाता है। इसके पीछे की मान्यता है कि शेर के पास अद्वितीय शक्ति होती है और मां दुर्गा उस पर सवार होकर सभी राक्षसों का अंत करती हैं।
  1. उपवास का महत्व : नवरात्रि में लोग मां दुर्गा की आराधना के लिए उपवास भी रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान व्रत रखने से तन, मन और आत्मा शुद्ध हो जाती है। यही वजह है कि लोग अपने शुद्धिकरण के लिए नवरात्र में उपवास रखकर देवी दुर्गा की पूजा करते हैं।

ग्रंथों में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि नवरात्रि का व्रत रखने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं। इसलिए कई लोग 9 दिन सिर्फ पानी पीकर रहते हैं, तो कुछ लोग सिर्फ फल खाकर। वहीं, कुछ लोग सिर्फ सात्विक भोजन ही करते हैं।

  1. मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी: मां दुर्गी की प्रतिमा बनाने के लिए मिट्टी गंगा नदी के किनारे से ली जाती है। हिंदू धर्म में गंगा नदी को बहुत ही पावन माना जाता है और यही कारण है कि देवी मां की प्रतिमा के लिए गंगा की मिट्टी का उपयोग किया जाता है। गंगा नदी के किनारे की मिट्टी पुजारी के द्वारा लाई जाती है।
  1. 108 मंत्रों के जाप की मान्यता : दुर्गा पूजा को दशहरा के नाम से भी जाना जाता है, जो कि नवरात्रि के अंतिम दिन मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। बताया जाता है कि भगवान राम ने रावण से लड़ाई करने से पहले देवी दुर्गी की पूजा-अर्चना की थी।

    इस दौरान उन्होंने मां दुर्गा को 108 नीलकमल अर्पित किए थे। तभी से 108 को एक शुभ अंक माना जाता है और यही वजह है कि दुर्गा पूजा में 108 मंत्रों का जाप किया जाता है।
  1. 9 कन्याओं का पूजन : हमारे देश में शुरू से ही कन्याओं को देवी का दर्जा दिया जाता रहा है। ऐसी मान्यता है कि कन्याओं के बाल रूप में साक्षात मां दुर्गा रहती हैं। विशेषकर तब तक, जब तक उनका मासिक धर्म शुरू नहीं होता।

    यही कारण है कि दुर्गा पूजा के नवमी के दिन 9 कन्याओं की पूजा की जाती है। इसके अलावा, देवी दुर्गा खुद में ऊर्जा की प्रतिक हैं, इसलिए कन्याओं को भी उन्हीं का रूप माना जाता है। इस वजह से भी नवरात्र के अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन की जाती है।
  1. रावण दहन : नवरात्रि को मां दुर्गा की आराधना के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके अंतिम दिन यानी दशहरा के दिन रावण को जलाया जाता है। दरअसल, इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। रावण को बुराई का प्रतीक माना गया है। ऐसे में माना जाता है कि दशहरा के दिन रावण का पुतला दहन कर लोग अपने अंदर के अहंकार, लालच, क्रोध और अन्य प्रकार की बुराई को भी नष्ट कर देते हैं।
  1. नवरात्र से जुड़ा वैज्ञानिक तथ्य : ऊपर बताई गई मान्यताओं के अलावा, दुर्गा पूजा से जुड़े कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी हैं। ऐसा बताया जाता है कि पृथ्वी जब सूर्य के चक्कर काटती है तो इसमें एक साल लगते हैं, जिसमें कुल 4 संधियां होती हैं।

    इनमें मार्च और सितंबर के महीने में पड़ने वाली संधियों में वर्ष का दो प्रमुख नवरात्रि का त्योहार पड़ता है। यह ऐसा समय होता है जब संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है। इस दौरान शरीर को स्वस्थ और शुद्ध रखने के लिए नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है।
  1. मां के मायके आने का राज : बंगाल में ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के समय देवी दुर्गा अपने बच्चों के साथ मायके आती हैं। इस वजह से भी इन दिनों को त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

अब जानते हैं दुर्गा पूजा के दौरान किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।

दुर्गा पूजा के दौरान बच्चों व बड़ों द्वारा किए जाने वाले कुछ नियम

नवरात्रि के दौरान कुछ खास बातों का ख्याल रखना जरूरी है। यहां हम नवरात्र के दौरान पालन करने वाले नियम की जानकारी दे रहे हैं। तो नवरात्रि के दौरान भूल से भी न करें ये गलतियां -

  1. बाल न काटें : मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के दौरान बाल नहीं काटने चाहिए। इसके अलावा, दाढ़ी-मूछ बनवाने से भी परहेज करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से देवी दुर्गा रूठ जाती हैं। इसलिए नवरात्रि के दौरान बाल कटाने से बचने की कोशिश करें। इसके अलावा, अगर माता-पिता अपने बच्चे का मुंडन इस दौरान आयोजित करना चाहते हैं, तो ऐसा न करें।
  1. नाखून काटने से बचें : दुर्गा पूजा के दौरान नाखून काटने से भी परहेज करना चाहिए। दरअसल, नवरात्रि के दौरान नाखून काटना अशुभ माना जाता है। इसलिए, पूजा के दौरान नाखून न काटें। अगर संभव हो तो नवरात्र शुरू होने से पहले ही इस तरह के कार्य कर लें।
  1. कलश का अनादर न करें : नवरात्रि के दौरान जो लोग उपवास रखते हैं उनके घर में कलश की स्थापना की जाती है। इस दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है, जैसे - कलश को कभी भी अंधेरे में नहीं रखना चाहिए। इसके सामने हमेशा एक अखंड दीपक जलना चाहिए। इसके अलावा, बच्चों को इसे जैसे-तैसे छूने से मना करें।
  1. काले कपड़े न पहनाएं : ऐसा माना जाता है कि काले रंग से देवी दुर्गा क्रोधित हो जाती हैं। इसलिए, इस त्योहार के दौरान 9 दिनों तक काले रंग के वस्त्र पहनने से परहेज करने की सलाह दी जाती है। इसकी जगह लाल, गुलाबी, पीला, केसरिया, आदि जैसे रंगों के कपड़े पहन सकते हैं।
  1. नॉन वेज न खाएं : नवरात्रि के दौरान नॉनवेज का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि मांस के सेवन से राक्षस और भूत-प्रेत की पूजा करने वाले लोगों को बढ़ावा मिलता है। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि नवरात्र  के दौरान नॉनवेज का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, अगर वैज्ञानिक तथ्य देखा जाए तो मांसाहारी की तुलना में शाकाहारी लोग ज्यादा स्वस्थ रहते हैं (1)।
  1. दिन में सोने से बचें : अगर संभव हो तो नवरात्रि के दौरान दिन में सोने से बचें। खासकर तब जब घर में कलश स्थापना हुई हो। 

नवरात्र का पावन पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। इस दौरान लोग देवी दुर्गा की भक्ति में सराबोर रहते हैं। इस लेख में हमने नवरात्रि से जुड़ी मान्यताओं के बारे में बताया है। शुभ नवरात्रि!

पंचतंत्र की कहानी : हाथी और गौरैया | Hathi Aur Goraiya in Hindi

सोमपुर के चौराहे पर एक पुराना पीपल का पेड़ था, उसपर एक गौरैया चिड़िया अपना घोंसला बनाकर पति गौरैया के साथ रहती थी। एक दिन गौरैया ने घोंसले में कुछ अंडे दिए। 

गौरैया को रोज अपने अंडों को सेकती थी। उसे उसने बच्चों के बाहर निकलने का बड़ा बेसब्री से इंतजार था। एक दिन अंड़ों को सेकते हुए गौरैया के पति ने उसे देखा। उसके मन में हुआ कि ये जबतक अंड़ों को सेक रही है, तबतक मैं खाने का कुछ इंतजाम करके आ जाता हूं। 

जैसे ही गौरैया का पति खाने लेने के लिए उड़ा वैसे ही एक पागल हाथी सोमपुर चौराहे की तरफ दौड़ते हुए बड़े। वो गुस्से में आसपास के सारे पेड़ तोड़ने लगा। उन्हीं पेड़ों में से एक वो पीपल का पेड़ भी था, जिसमें वो गौरैया रहती थी। 

हाथी उस पीपल के पेड़ को इतनी जोर से हिलाने लगा कि गौरैया का घोंसला गिर गया और गौरैया के सारे अंड़े फूट गए। अंडे से चूजों के निकलने का इंतजार कर रही गौरैया अब उनके फूटने का गम मनाने लगी। उसकी आंखें आंसू से भरी थीं। 

उसी समय गौरैया का पति वापस आया। उसने अपनी पत्नी को टूटे हुए अंड़ों के पास रोते हुए देखा। गौरैया ने अपने पति को हाथी के बारे में सबकुछ बता दिया। गुस्से में गौरैया के पति ने हाथी से बदला लेने की ठान ली।

गौरैया का पति अपने एक दोस्त के पास गया। वो कठफोड़वा नाम का पक्षी था। उसे गौरैया के पति ने अपने घोंसले और पत्नी की हालत सबकुछ बता दिया।

दोनों ने उस हाथी से बदला लेने की योजना बनाने की सोची। इस योजना में कठफोड़वा ने अपने दो दोस्त मधुमक्खी और मेंढक को भी शामिल कर लिया।

अपनी योजना के अनुसार, पहले मधुमक्खी उस हाथी के पास गई और उसके कान में गुनगुनाने लगी। हाथी को मधुमक्खी का संगीत अच्छा लगने लगा। हाथी आंखें बंद करके जहां खड़ा था वही लेट गया।

हाथी को आराम से लेटे हुए देखकर कठफोड़वा पक्षी ने हाथी की आंखें फोड़ दी। दर्द में हाथी करहाने लगा। उसके बाद मेंढक और उसके कुछ साथी थोड़ी दूर दलदल के पास से टर्र-टर्र करने लगे।

हाथी को लगा की मेंढक की आवाज आ रही है, तो हो सकता है कि पास में तलाब या नदी हो। इसी सोच के साथ हाथी मेंढक की आवाज वाली दिशा की तरफ बढ़ने लगा। हाथी की आंखें फूट चुकी थीं, इसलिए वो आगे अंदाजे से बढ़ रहा था और बढ़ते-बढ़ते तालाब में गिर गया। 

हाथी धीरे-धीरे दलदल में फंसते चला गया और थोड़ी ही देर में उसकी मौत गई। सभी दोस्तों का प्लान सफल हो गया और गौरैया के पति को बदला मिल गया

कहानी से सीख : कमजोर लोग भी एकजुट होकर ताकतवर लोगों को हराया जा सकता है।

बलराम की कहानी | Balram Ki Kahani in Hindi

बलराम को शेषनाग का अवतार और श्रीकृष्ण का बड़ा भाई माना जाता है। यह देवकी की छठवीं संतान थे, जिन्हें योगमाया से यशोद्धा माँ के गर्भ में भेजा दिया था। इसलिए इनका एक नाम संकर्षण भी है। 


सबसे बलवान होने के कारण इन्हें बलभद्र भी कहते है। मथुरा में बलराम को दाऊजी कहा जाता था। यहां दाऊजी नाम का मंदिर भी है।


बलराम दाऊ लड़ाई में जरासंध को एक प्रहार में ही मारने की क्षमता रखते थे, लेकिन श्रीकृष्ण के कारण उन्होंने ऐसा नहीं किया। बलवान होने के बाद भी उन्होंने महाभारत के युद्ध में न शामिल होने का फैसला लिया।


उन्होंने श्रीकृष्ण से कहा, “अर्जुन और दुर्योधन दोनों ही हमारे प्रिय हैं। इनके युद्ध में हमें किसी का साथ नहीं देना चाहिए। इस धर्मसंकट में किसी का भी पक्ष लेना उचित नहीं होगा।”


श्रीकृष्ण को स्पष्ट था कि उन्हें क्या करना है। उन्होंने दुर्योधन को दो विकल्प दिए - मुझे अपने सारथी के रूप में चुनो या मेरी सेना को अपने साथ मिला लो। दुर्योधन को पता था कि श्रीकृष्ण के पास सबसे बड़ी सेना है, तो उसने उनकी सेना को चुन लिया। अर्जुन ने खुशी-खुशी श्रीकृष्ण को अपने सारथी के रूप में स्वीकार किया। 


युद्ध की तैयारियों के समय एक दिन बलराम पांडवों की छावनी पहुंचे। उन्होंने श्रीकृष्ण से कहा, “मैंने तुम्हें समझाया था, हमें कौरवों-पांडवों की नासमझी में पड़कर किसी के पक्ष में खड़ा नहीं होना चाहिए। तुमने मेरी नहीं सुनी। तुम अर्जुन के कारण पांडवों के साथ खड़े हो और मैं तुम्हारे विरुद्ध खड़ा नहीं हो सकता। इसलिए अब मैं तीर्थ यात्रा पर रहा हूँ।”


आखिर में बलराम ने यदुवंशियों का नाश करके अपना देह समुद्र किनारे त्याग दिया था।


कहानी से सीख - भाइयों में सच्चा स्नेह हो, तो वो एक दूसरे के विरुद्ध कभी खड़े नहीं होते।


हल षष्ठी व्रत कथा | Hal Sashti Vrat Katha in Hindi

प्राचीन समय में गाय-भैंस को चराने व पालने वाली एक ग्वालिन आसपास के गाँवों में दूध बेचती थी। गर्भावस्था में भी वह लगातार दूध बेचती रही। 

कुछ समय बाद उसका प्रसव नजदीक आया। फिर भी वह दूध बेचने के लिए गाँव चली जाती थी। उसके मन में होता था कि मैं अभी नहीं गई, तो दूध खराब हो जाएगा।


एक दिन कुछ ही दूर चलते ही उसे तेज़ पीड़ा होने लगी। वो बेर की झाड़ी के किनारे रुक गई। वहां उसने एक बेटे को जन्म दिया। जन्म देने के बाद उसने अपनी बेटी को पास के खेत में कुछ घास में लपेटकर रख दिया। उसके बाद वो दूध बेचने के लिए निकल गई। 


गाँव जाकर उस ग्वालिन ने गाय और भैंस के मिले हुए दूध को भैंस का दूध बताकर बेच दिया। पूरे गांव के लोगों को दूध बेचने के बाद वह बच्चे के पास लौटने लगी।


उधर खेत के पास एक किसान हल जोत रहा था। तभी बैल मचलकर दौड़ने लगा और हल का नुकीला हिस्सा बच्चे के पेट पर लग गया। किसान घबरा गया। उसने तुरंत बच्चे के पेट को कांटों से सील दिया और वहां से चला गया।


तभी ग्वालिन उस खेत में पहुंची, जहां उसने अपने बच्चे को घास में लपेटकर रखा था। अपने बच्चे को खून में लतपत देखकर उसके मन में हुआ कि आज षष्ठी व्रत के दिन मैंने गाय-भैंस के मिले हुए दूध को सिर्फ गाय का शुद्ध दूध कहकर बेचा है। मुझे अपने इसी झूठ की सजा मिली है।


ग्वालिन अपने इस झूठ का प्रायश्चित करने के लिए दोबारा गाँव चली गई। उसने सभी को बताया, “मैंने गाय और भैंस के मिश्रित दूध को भैंस का दूध बताकर सबको धोखा दिया है और व्रत भंग किया है। मुझे आप लोग माफ कर दीजिए।


सच्चे मन से ग्वालिन को माफी मांगते देख गांव वालों ने उसे माफ कर दिया। माफी मिलने के बाद जब ग्वालिन खेत पहुँची, तो उसने देखा कि उसका बेटा सुरक्षित खेल रहा है। उसके शरीर के घाव भी सूख चुके हैं।


कहानी से सीख : झूठ और फरेब का फल इंसान को किसी-न-किसी दुख के रूप में जरूर मिलता है। 


माँ लक्ष्मी व्रत कथा | Maa Lakshmi Vrat Katha in Hindi

सालों पहले देवदत्त नाम का एक गरीब ब्राह्मण पालनहार गाँव में रहता था। वह हर दिन भगवान विष्णु की पूजा-वंदना बड़ी श्रद्धा से करता। उसकी भक्ति से खुश भगवान ने उसे एक दिन दर्शन दिए और कहा, “तुम मुझसे मनचाहा वरदान मांग लो।” 

ब्राह्मण ने बड़े प्रेम से कहा, “प्रभू! मेरे घर में लक्ष्मी माता का निवास हो, यही मेरी इच्छा है।”


भगवान ने उस ब्राह्मण को बताया, “मेरे मंदिर के सामने ही एक महिला रोज गाय के गोबर के उपले बनाती है। तुम प्रेम से उन्हें अपने घर आने के लिए आमंत्रित करो। वह साक्षात लक्ष्मी हैं। वो जिस दिन तुम्हारे घर कदम रखेंगी, तुम्हारा घर धन-संपत्ति से भर जाएगा।” इतना कहकर भगवान अंतर्धान हो गए। 


अगले दिन भगवान के कहे अनुसार देवदत्त ब्राह्मण उस महिला के घर गया और उन्हें अपने घर आना का निमंत्रण दिया। 


बिना किसी बात के इस तरह ब्राह्मण से निमंत्रण मिलते ही लक्ष्मी माता समझ गईं कि भगवान विष्णु ने ही इसे ऐसा करने के लिए कहा होगा।


यह सोचते ही माँ लक्ष्मी ने कहा, “मुझे तुम्हारा निमंत्रण मंजूर है, लेकिन मेरे आने से पहले तुम्हें महालक्ष्मी व्रत करना होगा। यह व्रत 16 दिनों तक चलेगा। तुम्हें व्रत के आखिरी दिन चंद्र देव को अर्घ्य देकर मुझे उत्तर की दिशा की ओर मुँह करते हुए पुकारना होगा। मैं उस दिन जरूर आऊँगी।”


ब्राह्मण ने मां लक्ष्मी के कहे अनुसार 16 दिन तक व्रत किया। ब्राह्मण का यह व्रत शुक्ल पक्ष भाद्रपद महीने की अष्टमी से अश्विन माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक व्रत चला।


व्रत के आखिरी दिन ब्राह्मण ने प्रेमपूर्वक माँ लक्ष्मी को पुकारा। उसी समय माँ ने ब्राह्मण के घर को धन-संपत्ति से भर दिया। इसी दिन से मां लक्ष्मी व्रत की अहमियत लोगों को समझ आने लगी। इस दिन यह माँ लक्षमी व्रत कथा सुनने के बाद दिनभर खाली पेट रहना होता है।


कहानी से सीख - भगवान की भक्ति और उनके प्रति श्रद्धा कभी खाली नहीं जाती। उसका फल भगवान देर-सवेर जरूर देते हैं।


पंचतंत्र की कहानी : बंदर और लकड़ी का खूंटा | Bandar Aur Lakri Ka Khoonta in Hindi

सरोजनगर में लकड़ी से मंदिर बनाने का कार्य चल रहा था। मंदिर जल्दी बनाना था, इसलिए बहुत सारे मजदूर इस कार्य में लगे हुए थे। लकड़ी का काम करते समय दोपहर के खाने का समय हुआ। 

एक मजदूर ने लकड़ी को चिरने के लिए उसमें कीला फंसाकर चला गया, ताकि दोबारा आरी डालने में दिक्कत न हो। दूसरे मजदूर भी अपना काम छोड़कर एक घंटे के लिए भोजन करने चले गए। 

उसी समय कुछ बंदर वहां उछलते-कूदते हुए आए। उनका एक सरदार था, जिसने सभी बंदरों को शरारत करने से मना किया था। सारे बंदर तो पेड़ की तरफ चले गए, लेकिन एक बहुत ज्यादा शरारती बंदर था। वो आसपास की चीजें छेड़ने लगता था।

तभी उस बंदर ने अधचिरी लकड़ी देख ली। उसने आरी को उसपर रगड़ना शुरू किया। उससे किर्र-किर्र आवाज आने लगी। गुस्से में बंदर ने आरी को पटक दिया। 

उसके बाद उसने लकड़ी जिसमें अटकी थी उस कीले को निकालने की कोशिश करने लगा। दो पाटो में बंटा कीला, स्प्रिंग से अच्छे से जुड़ा हुआ था, उसे निकालना आसान नहीं था।

स्प्रिंग के कारण जब भी कीला थोड़ा हिलता-डुलता, तो उस बंदर को अपने बल पर बड़ा गुमान होता। ऐसा करते समय एक बार बंदर की पूछ उस कीले के बीच में आ गई। बंदर को पता ही नहीं चला था, इसलिए उसने कीले को सरकाने के लिए जोर से झटका मार दिया। 

कीले के बीच की लकड़ी निकल गई और सभी क्लिप जुड़ गई। इसी क्लिप के बीच में बंदर की पूछ फंस गई। बंदर जोर-जोर से चिल्लाने लगा।

उसी समय मजदूर खाना खाकर लौटने लगे। उनसे खुद को बचाने के लिए बंदर भागने लगा, तभी उसकी पूछ टूट गई। 

कहानी से सीख - हद से ज्यादा शरारतें करने से खुद का ही नुकसान होता है। बड़े आपके भले के लिए चीजें बताते व समझाते हैं, उनकी सुन लेनी चाहिए।

तेनालीराम की कहानी : मनहूस कौन ? | Manhus Kaun in Hindi

एक दिन विजयनगर के महाराज कृष्णदेव राय को पता चला कि चेलाराम नामक व्यक्ति को जो भी देखता है उसका दिन खराब जाता है। 

कुछ लोग कहते थे कि जिस दिन चेलाराम का मुंह देख लेते हैं, तो उस दिन एक निवाला भी खाने को नहीं मिलता। महाराज कृष्णदेव राय को लगा कि इस बात के पीछे की सच्चाई जानना जरूरी है। 

एकदिन चेलाराम को लेकर फैली बातों की सच्चाई को परखने के लिए महाराज कृष्णदेव राय ने उसे अपने सामने वाले कमरे में रुकने के लिए बुलाया।

राजा से राजमहल में एक दिन रुकने का न्योता मिलने से चेलाराम खुश हो गया। वो राजमहल के कक्ष में पहुंचा। उसके बाद उसने आराम से बैठकर राजसी भोग खाया।

उसी रात महाराज कृष्णदेव राय की नींद आधीरात के बाद खुली। उन्होंने जैसे ही अपने कमरे के बाहर देखा, तो उन्हें चेलाराम का चेहरा दिखा। 

संयोग ऐसा हुआ कि अगले दिन महाराज कृष्णदेव राय को दिनभर खाने के भोजन नहीं मिला। महाराज को लग गया कि चेलाराम को लेकर होने वाली बातें गलत नहीं थी। गुस्से में उन्होंने चेलाराम को फांसी की सजा सुना दी।

महाराज का आदेश सुनकर चेलाराम की सांसें अटक गई। वो परेशान हो गया। वो सीधे तेनालीराम के पास गया और फांसी की सजा की बताई।

चेलाराम की परेशानी सुनकर तेनालीराम ने कहा कि तुम अब वही करना जो मैं करने को कहूंगा। चेलाराम ने इस बात पर हामी भर दी।

फिर तेनालीराम ने कहा, "कल जिस समय तुमसे अंतिम इच्छा के बारे में पूछा जाए, तो प्रजा के सामने अपनी बातें रखने की बात कहना।" 

चेलाराम ने ऐसा ही किया। चेलाराम की इच्छा के अनुसार राजा ने सभा बुलवाई। चेलाराम ने तेनालीराम के द्वारा बताए अनुसार सभी लोगों को संबोधित करते हुए कहा, "मुझे कहा जाता है कि मेरी शक्ल देखने से दिनभर भूखा रहना पड़ता है, लेकिन मैं कहता हूं कि महाराज की शक्ल देखने वाले को मृत्यु दण्ड मिलता है।"

चेलाराम की बातें सुनकर महाराज ने एकदम फांसी रुकवा दी और पूछा, "तुम ये सब क्या बोल रहे हो और किसके कहने पर?

चेलाराम कहने लगा, ”तेनालीराम के अलावा कोई  दूसरा मेरी मदद करने के लिए आगे नहीं आया।”

महाराज कृष्णदेव राय एकबार फिर तेनालीराम से प्रसन्न हो गए।

कहानी से सीख - सही सुझाव को समय रहते स्वीकार कर लेना चाहिए। जैसे चेलाराम ने तेनालीराम की बात मानकर अपनी जान बचा ली।

तेनालीराम की कहानी : ब्राह्मण किसकी पूजा करे | Brahmin Kiski Pooja Kare

एक दिन विजयनगर के महाराज कृष्णदेव राय ने राजदरबार में कहा ‘‘आज सभा में किसी तरह का कार्य नहीं है।  क्या आप योग्य व बुद्धिमान लोग कोई विषय बता सकते हैं, जिसपर चर्चा की जाए।

तेनालीराम अपने स्थान से उठे और बोले, "महाराज! आप ही किसी विषय को सूझाएं, तो बेहतर रहेगा।"

कुछ देर सोचने के बाद महाराज कृष्णदेव राय ने कहा, "आप लोगों को पता ही होगा कि क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र तीनों वर्ण वाले ब्राह्मण को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। आखिर क्यों?"

राजदरबार के मंत्रियों को महाराज कृष्णदेव राय का सवाल एकदम सरल लगा। एक मंत्री बोला, "महाराज, ब्राह्मण लोग गाय को पवित्र मानते हैं और गाय कामधेनु का प्रतिक रही है। ऐसे में ब्राह्मण वर्ण को सर्वश्रेष्ठ मानना गलत नहीं है।"

राजदरबार में मौजूद सभी ने मंत्री की बात पर सहमती जताई। किसी को आपत्ति न होने पर महाराज ने कहा, "क्या तेनालीराम की कोई अलग राय है या इस बात से सहमत हो?" 

तेनालीराम ने कहा, "मैं इस जवाब से पूरी तरह सहमत नहीं हूं। मेरी राय कुछ अलग है।"

तेनाली ने आगे बोला,  "महाराज गाय को सभी लोग पवित्र मानते हैं। सिर्फ ब्राह्मण ही नहीं। यहां तक की देवता भी गाय को पवित्र मानते हैं। मेरी इस राय से विद्वान लोग भी सहमत ही होंगे। आप पूछ लीजिए।"

महाराज ने फिर सबसे कहा कि मेरे एक सवाल का जवाब दो कि अगर ब्राह्मण को सर्वश्रेष्ठ और पूजनीय माना जाता है, तो उनसे श्रेष्ठ कौन है? ब्राह्मण इतने ही श्रेष्ठ हैं, तो वो चमडे़ से बने जूते-चप्पल क्यों पहनते हैं?"

सभी दरबार के लोग इस बात का जवाब नहीं दे पाए। उनके दिमाग में कोई स्पष्ट जवाब ही नहीं आ रहा था। सभी की चुप्पी सुनकर महाराज ने घोषणा कर दी कि जो भी मुझे संतोषजनक जवाब देगा मैं उसे एक हजार स्वर्ण मुद्राएं दूंगा।

कुछ देर सोचने के बाद तेनालीराम ने कहा, "हां, यह बात सही है कि ब्राह्मण लोग चमड़े के जूते पहनते हैं। आपको तो पता ही है कि ब्राह्मण मंदिर जाते हैं और तीर्थ जाते हैं। कई तरह के धार्मिक कार्य करते हैं। इसी वजह से कहा जाता है कि ब्राह्मण के पैर पवित्र और मोक्ष के द्वार जैसे होते हैं।"

महाराज ने दरबार में बैठे विद्वानों से इस बात की पुष्टि करवाई। सभी विद्वान तेनाली की इस बात से सेहमत थे।

विद्वानों की सहमती के बाद तेनालीराम आगे कहने लगे, "ब्राह्मण के पैर पवित्र माने जाते हैं, इसलिए वो पशु के खाल से बने हुए जूते पहनकर उन्हें मोक्ष के मार्ग तक पहुंचाते हैं। दूसरा - ब्राह्मण ही नहीं बल्कि सभी के लिए भगवान ही पूज्य हैं।"  

महाराज कृष्णदेव राय ने कहा, चमड़े के जूते पहनना किसी भी कारण से सही नहीं हो सकता, क्योंकि वो जानवरों की छाल से बनता है। यह गलता है।

फिर भी तेनालीराम तुमने चतुराई भरा जवाब देने का साहस दिखाया। इसी वजह से मैं तुम्हें ईनाम दूंगा।

कहानी से सीख - साहस और बुद्धि दोनों की हमेशा सरहाना होती है।

तेनालीराम की कहानी : जादूगर का घमंड | Jadugar Ka Ghamand

महाराज कृष्णदेव राय के राजदरबार में एक दिन जादूगर आया। उसने राजा की अनुमति लेकर बहुत से हैरान करने वाले जादू के करतब दिखाए। राजदरबार के सभी लोग जादू देखकर खुश हुए। 

जादू से राजा भी बड़े प्रभावित थे। उन्होंने जादूगर को सोने के सिक्के और कुछ उपहार दिए। समय के साथ उस जादूगर को अपनी कला पर बहुत ज्यादा घमंड होने लगा। वो घमंड में सभी जादूगर को चुनौती देता था। 

एक दिन जादूगर ने राजसभी में ही सभी लोगों से पूछा, "क्या आप लोगों में से मुझे कोई चुनौती दे सकता है?" 

तेनालीराम ने जादूगर की चुनौती और घमंड के चर्चे पहले भी सुने थे। उनके मन में हुआ कि इसके घमंड को तोड़ने का समय आ गया है।

अपनी कुर्सी से उठकर तेनालीराम ने कहा, "मैं तुम्हें चुनौती देना चाहता हूं।"

जादूगर अपने अहंकार में चूर था, इसलिए उसने तुरंत ही चुनौती को स्वीकार कर लिया। वो बोला, "मैं अपने करतब दिखाने में इतना माहिर हूं कि किसी भी चुनौती को स्वीकार कर सकता हूं।"

तेनालीराम ने रसोइये को मिर्ची पाउडर लाने के लिए कहा। मिर्च को तेनालीराम ने अपनी आंखों को बंद करके अपने शरीर पर छिड़क लिया। उसके बाद अपने शरीर से मिर्च को झटक कर तेनालीराम ने अपनी आंखें खोली। 

ऐसा करने के बाद तेनालीराम ने कहा, "मैंने ये आसान करतब किया है।"

तुम तो जादुगर हो, अब तुम यही करतब खुली आंखों से करके दिखाओ, तब मैं मानूंगा कि तुमने बेहतर कोई नहीं है।

घमंड में चूर जादूगर को समझ आ गया कि वो कितना अहंकारी हो गया था। उसने सभा में मौजूद सभी लोगों से माफी मांगी।

राजमहल के लोग और महाराज सभी तेनालीराम की बुद्धिमत्ता से खुश हो गए। 

कहानी से सीख - अपनी कला पर घमंड करके किसी दूसरे को कम नहीं समझना चाहिए।

तेनालीराम की कहानी: कौवों की गिनती | Counting of Crows in Hindi

विजयनगर के महाराज कृष्णदेव राय हमेशा तेनालीराम से ऐसे सवाल पूछते थे, जिसका जवाब कोई और नहीं दे पाता था। उन्हें तेनाली के जवाब सुनने में बड़ा आनंद आता था, क्योंकि उनके जवाब के बाद सब चकित रह जाते थे।

एक दिन महाराज को तेनाली से कुछ अजीब सवाल पूछने का मन हुआ। उन्होंने तेनालीराम को राजदरबार में बुलाया। राजा ने पूछा, "तेनाली क्या तुम बता सकते हो कि हमारे राज्य में कुल कितने कौवे होंगे।"

तेनालीराम बोले, "जी महाराज! मैं आपके इस सवाल का बिल्कुल जवाब दे सकता है। 

महाराज कृष्णदेव राय ने कहा, "अगर तुमने गलत जवाब दिया, तो मैं तुम्हें मौत की सजा सुना दूंगा।"

तेनालीराम बोले, "आप भरोसा रखिए, मुझे दो दिन का वक्त दीजिए। मैं कौवों की एकदम सही संख्या बताऊंगा। अगर आपको गलत लगे, तो आप मुझे मृत्यु दण्ड दे दीजिएगा। "

तेनाली से जलने वाले राजमहल के मंत्री व अन्य लोग खुश हो गए। उन्हें लगा कि राजा के सवाल में तनाली फंस गया है और अब इसे कभी भी सजा हो सकती है।

दो दिन के बाद महाराज ने तेनाली को जवाब देने के लिए कहा। तेनालीराम बोले, "पूरे राज्य में कौवे की संख्या 1 लाख 20 हजार पांच सौ पचास है। 

महाराज ने हैरानी से पूछा, "क्या इतने सारे कौवे हैं यहां?

तेनाली ने जवाब दिया, "आपको विश्वास नहीं होता है, तो आप किसी दूसरे से भी कौवे की संख्या को गिनवा सकते हैं। 

महाराज बोले, "अगर गिनती कम-या-ज्यादा हुई तो?"

तेनालीराम ने कहा, "ऐसा नहीं हो सकता। अगर हुआ था तो इसका मतलब यही होगा कि कुछ कौवे दूसरे राज्य से यहां घूमने आए हैं या कुछ हमारे राज्य से दूसरे राज्य दोस्त, रिश्तेदारों से मिलने गए हैं। इस स्थिति के अलावा किसी स्थिति में कौवो की संख्या कम-या-ज्यादा नहीं हो सकती है।" 

तेनालीराम का जवाब सुनकर महाराज लाजवाब हो गए। तेनालीराम के विरोधी भी सोचने लगे कि इसका दिमाग, तो काफी ज्यादा चलता है। 

कहानी से सीख - बुद्धि से हर मुश्किल का हल निकलता है और हर सवाल का जवाब मिल जाता है। 

पंचतंत्र की कहानी मूर्ख मित्र | Moorkh Mitra in Hindi

महीमपुर राजा ने अपने राजमहल में एक बंदर को सेवक के पद पर रख रखा था। राजा को उस बंदर पर इतना भरोसा था कि वो उसे सबसे ज्यादा विश्वासपात्र मानता था। 

राजा ने बंदर को पूरे राजमहल और राजदरबार में बिना किसी रोक-टोक के आने-जाने की इजाजत दे रखी थी। बंदर राजमहल में राजा के सारे काम करता और इधर-उधर अपनी मर्जी से घूमता था।

एक दिन राजा अपने कमरे में सो रहा था। गर्मी का मौसम था, इसलिए बंदर से सोझा कि राजा को पंखा कर देता हूं। वो बैठकर उन्हें पंखा झेलना रहा। कुछ ही देर बाद उस कमरे में एक मक्खी आ गई। बंदर उसे भगाने की कोशिश करता है, लेकिन मक्खी सीधे राजा की छाती पर बैठ गई । 

बंदर ने मक्खी को पंखे की मदद से बार-बार हटाने की कोशिश की, लेकिन वो कुछ देर के लिए भागती और दोबारा राजा की छाती पर आकर बैठ जाती। मक्खी को बार-बार ऐसा करते हुए देखकर बंदर को काफी गुस्सा आ गया। 

पंखे से मक्खी नहीं उड़ रही है, यह सोचकर बंदर ने हाथ में तलवार उठा ली। दोबारा जब मक्खी राजा की छाती पर बैठी, तो बंदर ने तलवार से प्रहार कर दिया। तलवार को देखकर मक्खी उड़ गई और राजा का शरीर दो टुकड़े में बट गया।

कहानी से सीख - मूर्ख की मित्रता और मूर्ख को पात्र समझना दोनों ही बेवकूफी है। इससे अच्छा किसी विद्वान्‌ को शत्रु बनान है। 

हिम्मत दास की कथा | Himmat Das Ki Katha in Hindi

मध्य प्रदेश के एक गाँव बराय में बांके बिहारी का एक बड़ा भक्त हिम्मत दास रहता था। वह रोज 15 किलोमीटर चलकर कीर्तन करते हुए उनके दर्शन करने जाता था। 

एक दिन हिम्मत दास अपने कीर्तन का चिमटा बजाते हुए बांके बिहारी जी के दर्शन करने जा रहा था। तभी 4 चोरों ने उन्हें रोक दिया और पैसे मांगने लगे।


हिम्मत दास ने कहा कि मेरे पास कोई पैसा नहीं है। पैसे और कोई दूसरा सामान नहीं था, इसलिए चोरों ने हिम्मतदास का कीर्तन करने वाला चिमटा छीन लिया।


चिमटा छीनकर चोर जाने लगे। तभी सभी चोरों को दिखना बंद हो गया। चोर किसी तरह हिम्मत दास के पास दोबारा पहुंचे और कहा कि आप अपना चिमटा वापस ले लीजिए।


हिम्मत दास को समझ नहीं आया कि वो चोर चिमटा लेकर वापस क्यों आ गए। तभी हिम्मत दास को पता चला कि सभी चोर अँधे हो रखे हैं। 


हिम्मत दास को बहुत दुख हुआ। वो बोला, हे भगवान! इन्हें इतना बड़ा दण्ड मत दो। तभी उनकी आँखों की रोशनी लौट आई। 


चोरों के कारण हिम्मत दास को मंदिर पहुँचने में देर हो गई। मंदिर में आरती हो चुकी थी, इसलिए मंदिर के कपाट बंद हो गए।


बंद मंदिर के पास बैठकर हिम्मत दास बोला, “आज आपके दर्शन के बिना मैं खाना कैसे खाऊँगा?”


तभी मूर्ति से स्वयं भगवान निकलकर हिम्मत के पास दर्शन देने आ गए और उसे खाना खिलाया। भगवान ने कहा, "मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूं, इसलिए मैं तुम्हें भूखा सोने नहीं दे सकता हूं।


मंदिर के महंत ने यह चमत्कार देखकर हिम्मत दास को मंदिर में ही रहकर संतों की सेवा करने का निवेदन किया। 


मंदिर में अधिक साधु आते थे, इसलिए पैसे कम होने पर हिम्मत दास एक सेठ से उधार ले लेता था। 


एक दिन संतों की बड़ी मंडली मंदिर पहुँची। हिम्मत दास उनके भोजन के लिए राशन लेने उसी सेठ के पास गया। 


सेठ ने कहा, “पहले तुम बकाया चुकाओ, फिर सामान लेकर जाना।”


पैसे तो थे नहीं इसलिए वह अपनी पत्नी के पास गया। तुरंत पत्नी ने अपनी नाक की नथ निकालकर हिम्मत दास को दे दी। 


नथ गिरवी रखकर वह सामान लाया और साधुओं को भोजन करा दिया।


हिम्मत दास की श्रद्धा देखकर भगवान ने सेठ के पैसे चुका दिए और नथ ले जाकर उसके घर में रख दी।


जब उसने घर में नथ देखी, तो वह तुरंत सेठ के पास गया और पूछा, वह नथ कौन ले गया?


सेठ बोला, “तुम ही तो आए थे और पैसे चुकाकर नथ ले गए।”


भगवान का धन्यवाद करते हुए वह मंदिर चला गया।


कहानी से सीख - हिम्मत दास की कथा से यह सीख मिलती है कि निस्वार्थ भक्ति करने वालों को भगवान दर्शन भी देते हैं और उनके दुखों को भी हरते हैं।

राजा का उत्तराधिकारी कौन ? | Story Of The King And The Successor In Hindi

सालों पहले तुगलकनगर में प्रताप राज सिंह राजा का राज चलता था। वह प्रजा की सेवा में विश्वास रखता था और बेहद साहसी था। राजा के शासन से उनकी प्रजा बड़ी खुश रहती थी। 


राजा की कोई संतान नहीं थी, इसलिए वो सोचते थे कि आखिर मेरे बाद प्रजा के बारे में सोचने वाला कौन होगा। किसी ऐसे इंसान को उत्तराधिकारी बनाना होगा, जो प्रजा के हित में ही सोचे। 


बहुत दिनों से राजा अपने राज्य के युवकों के व्यवहार पर गौर कर रहे थे। सबपर ध्यान देने के बाद राजा को दो-चार  युवक उत्तराधिकारी बनने लायक लगे। 


राजा प्रताप राज सिंह ने उन सभी लड़कों को अपने राजदरबार में बुलाया। उन्होंने कहा, “मुझे लगता कि आप लोगों में इस राज्य का उत्तराधिकारी बनने की क्षमता है। अब आपको साबित करना होगा कि आप कितने लायक हैं। इसके लिए मैं एक परीक्षा लूंगा। इसमें उत्तीर्ण होने वाले को मैं उत्तराधिकारी घोषित करुंगा।” 

 राजा का उत्तराधिकारी कौन ? | Story Of The King And The Successor In Hindi


इतना कहने के बाद राजा ने सभी लड़कों को एक-एक बीज दिया और गमले में लगाना। उसके बाद चार महीने जब बीत जाएं, तब अपना-अपना गमला लेकर आना। उस गमले को देखकर ही मैं तय करुंगा कि कौन उत्तराधिकारी बनेगा।  


उन लड़को को लग रहा था कि राजा कोई कड़ी परीक्षा लेंगे। मगर गमले में बीज बोना तो आसान ही है, यही सोचकर सभी अपने घर चले गए। 


चार महीने बीतते ही गमले के बीज से पौधे आने लगे। मगर एक लड़ा था क्षितिज, जिसके गमले में पौधा ही नहीं आया। क्षितिज परेशान होने लगा, क्योंकि दूसरे लड़कों के गमले में पौधे बढ़ रहे थे।


क्षितिज ने हार नहीं मानी। उसे लगा कि शायद पौधा आने में थोड़ा ज्यादा समय लगेगा। वो अपने गमले की देखभाल करता ही रहता था।


होते-होते पूरे चार महीने बीत गए। कुछ के गमले में फूल आ गए और कुछ के गमले में फल लगने लगे। क्षितिज का गमला खाली का खाली ही था।


क्षितिज अपनी मां के पास गया और कहा कि आज राजा के पास जाने का दिन है। सभी लड़कों के गमले हरे-भरे हैं और मेरा गमला खाली। ऐसे में मैं क्या करूं? मैं खाली गमला लेकर कैसे जा सकता हूं? 


लोगों को भरोसा ही नहीं होगा कि मैंने इस गमले का ख्याल रखा था। कौन मानेगा कि इस गमले को मैंने बराबर पानी और खाद सबकुछ दिया था। 


मां बोली, बेटा चाहे तुम्हारा गमला जैसा भी हो, तुम्हें राजा के पास जाना ही चाहिए। तुमने मेहनत की, वो सबसे ज्यादा जरूरी है। अब तुम्हारी जिम्मदारी है कि तुम राजा को सच बताओ और उनका गमला उन्हें वापस कर आओ।


क्षितिज अपनी मां की बातें समझ गया। वो अपना खाली गमला लेकर राजा के पास पहुंच गया। दूसरे लड़के भी वहां गए। क्षितिज का गमला देखकर सब हंसने लगे।


राजा ने सबका गमला देखा। पहले सबके हरे-भरे गमले देखे और आखिर में राजा ने वो एक खाली गमला देखा। 


राजा ने पूछा, “यह खाली गमला किसका है?” 


क्षितिज डरते हुए आंखें झुकाकर बोला, “यह मेरा गमला है। मैंने बहुत कोशिश की लेकिन इसमें पौधा आया ही नहीं।” राजा ने उसे अपने साथ आने के लिए कहा। क्षितिज और ज्यादा डर गया। कांपते हुए वो राजा के साथ आगे बढ़ने लगा। 


राजा उसे सिंहासन की तरफ ले गए और कहा, “तुम ही इस सिंहासन के असली हकदार हो। तुम्हें ही मैं अपना उत्तराधिकारी घोषित करुंगा।” राजभवन में मौजूद सभी लोग हैरान हो गए और हैरानी से राजा की तरफ देखने लगे। 


राजा ने कहा, “आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि मैंने इन सबको ऐसे बीज दिए थे, जिसमें पौधा आ ही नहीं सकता था। खाली गमला लाकर क्षितिज ने यह साबित कर दिया कि वो इन सबमें सबसे ईमानदार है। इसी में राजा के गुण हैं।” 


हरे-भरे गमले लेकर आए लड़कों ने शर्म से अपनी गर्दन झुका ली। उसी समय राजा ने अपने सिंहासन पर बैठकर पूरे विधि-विधान से क्षितिज को अपने राज्य का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। 


कहानी से सीख : चाहे परिस्थिति जैसी भी हो, इंसान को सच का दामन नहीं छोड़ना चाहिए।

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