एक दिन विजयनगर के महाराज कृष्णदेव राय को पता चला कि चेलाराम नामक व्यक्ति को जो भी देखता है उसका दिन खराब जाता है।
कुछ लोग कहते थे कि जिस दिन चेलाराम का मुंह देख लेते हैं, तो उस दिन एक निवाला भी खाने को नहीं मिलता। महाराज कृष्णदेव राय को लगा कि इस बात के पीछे की सच्चाई जानना जरूरी है।
एकदिन चेलाराम को लेकर फैली बातों की सच्चाई को परखने के लिए महाराज कृष्णदेव राय ने उसे अपने सामने वाले कमरे में रुकने के लिए बुलाया।
राजा से राजमहल में एक दिन रुकने का न्योता मिलने से चेलाराम खुश हो गया। वो राजमहल के कक्ष में पहुंचा। उसके बाद उसने आराम से बैठकर राजसी भोग खाया।
उसी रात महाराज कृष्णदेव राय की नींद आधीरात के बाद खुली। उन्होंने जैसे ही अपने कमरे के बाहर देखा, तो उन्हें चेलाराम का चेहरा दिखा।
संयोग ऐसा हुआ कि अगले दिन महाराज कृष्णदेव राय को दिनभर खाने के भोजन नहीं मिला। महाराज को लग गया कि चेलाराम को लेकर होने वाली बातें गलत नहीं थी। गुस्से में उन्होंने चेलाराम को फांसी की सजा सुना दी।
महाराज का आदेश सुनकर चेलाराम की सांसें अटक गई। वो परेशान हो गया। वो सीधे तेनालीराम के पास गया और फांसी की सजा की बताई।
चेलाराम की परेशानी सुनकर तेनालीराम ने कहा कि तुम अब वही करना जो मैं करने को कहूंगा। चेलाराम ने इस बात पर हामी भर दी।
फिर तेनालीराम ने कहा, "कल जिस समय तुमसे अंतिम इच्छा के बारे में पूछा जाए, तो प्रजा के सामने अपनी बातें रखने की बात कहना।"
चेलाराम ने ऐसा ही किया। चेलाराम की इच्छा के अनुसार राजा ने सभा बुलवाई। चेलाराम ने तेनालीराम के द्वारा बताए अनुसार सभी लोगों को संबोधित करते हुए कहा, "मुझे कहा जाता है कि मेरी शक्ल देखने से दिनभर भूखा रहना पड़ता है, लेकिन मैं कहता हूं कि महाराज की शक्ल देखने वाले को मृत्यु दण्ड मिलता है।"
चेलाराम की बातें सुनकर महाराज ने एकदम फांसी रुकवा दी और पूछा, "तुम ये सब क्या बोल रहे हो और किसके कहने पर?
चेलाराम कहने लगा, ”तेनालीराम के अलावा कोई दूसरा मेरी मदद करने के लिए आगे नहीं आया।”
महाराज कृष्णदेव राय एकबार फिर तेनालीराम से प्रसन्न हो गए।
कहानी से सीख - सही सुझाव को समय रहते स्वीकार कर लेना चाहिए। जैसे चेलाराम ने तेनालीराम की बात मानकर अपनी जान बचा ली।