राजा का उत्तराधिकारी कौन ? | Story Of The King And The Successor In Hindi

सालों पहले तुगलकनगर में प्रताप राज सिंह राजा का राज चलता था। वह प्रजा की सेवा में विश्वास रखता था और बेहद साहसी था। राजा के शासन से उनकी प्रजा बड़ी खुश रहती थी। 


राजा की कोई संतान नहीं थी, इसलिए वो सोचते थे कि आखिर मेरे बाद प्रजा के बारे में सोचने वाला कौन होगा। किसी ऐसे इंसान को उत्तराधिकारी बनाना होगा, जो प्रजा के हित में ही सोचे। 


बहुत दिनों से राजा अपने राज्य के युवकों के व्यवहार पर गौर कर रहे थे। सबपर ध्यान देने के बाद राजा को दो-चार  युवक उत्तराधिकारी बनने लायक लगे। 


राजा प्रताप राज सिंह ने उन सभी लड़कों को अपने राजदरबार में बुलाया। उन्होंने कहा, “मुझे लगता कि आप लोगों में इस राज्य का उत्तराधिकारी बनने की क्षमता है। अब आपको साबित करना होगा कि आप कितने लायक हैं। इसके लिए मैं एक परीक्षा लूंगा। इसमें उत्तीर्ण होने वाले को मैं उत्तराधिकारी घोषित करुंगा।” 

 राजा का उत्तराधिकारी कौन ? | Story Of The King And The Successor In Hindi


इतना कहने के बाद राजा ने सभी लड़कों को एक-एक बीज दिया और गमले में लगाना। उसके बाद चार महीने जब बीत जाएं, तब अपना-अपना गमला लेकर आना। उस गमले को देखकर ही मैं तय करुंगा कि कौन उत्तराधिकारी बनेगा।  


उन लड़को को लग रहा था कि राजा कोई कड़ी परीक्षा लेंगे। मगर गमले में बीज बोना तो आसान ही है, यही सोचकर सभी अपने घर चले गए। 


चार महीने बीतते ही गमले के बीज से पौधे आने लगे। मगर एक लड़ा था क्षितिज, जिसके गमले में पौधा ही नहीं आया। क्षितिज परेशान होने लगा, क्योंकि दूसरे लड़कों के गमले में पौधे बढ़ रहे थे।


क्षितिज ने हार नहीं मानी। उसे लगा कि शायद पौधा आने में थोड़ा ज्यादा समय लगेगा। वो अपने गमले की देखभाल करता ही रहता था।


होते-होते पूरे चार महीने बीत गए। कुछ के गमले में फूल आ गए और कुछ के गमले में फल लगने लगे। क्षितिज का गमला खाली का खाली ही था।


क्षितिज अपनी मां के पास गया और कहा कि आज राजा के पास जाने का दिन है। सभी लड़कों के गमले हरे-भरे हैं और मेरा गमला खाली। ऐसे में मैं क्या करूं? मैं खाली गमला लेकर कैसे जा सकता हूं? 


लोगों को भरोसा ही नहीं होगा कि मैंने इस गमले का ख्याल रखा था। कौन मानेगा कि इस गमले को मैंने बराबर पानी और खाद सबकुछ दिया था। 


मां बोली, बेटा चाहे तुम्हारा गमला जैसा भी हो, तुम्हें राजा के पास जाना ही चाहिए। तुमने मेहनत की, वो सबसे ज्यादा जरूरी है। अब तुम्हारी जिम्मदारी है कि तुम राजा को सच बताओ और उनका गमला उन्हें वापस कर आओ।


क्षितिज अपनी मां की बातें समझ गया। वो अपना खाली गमला लेकर राजा के पास पहुंच गया। दूसरे लड़के भी वहां गए। क्षितिज का गमला देखकर सब हंसने लगे।


राजा ने सबका गमला देखा। पहले सबके हरे-भरे गमले देखे और आखिर में राजा ने वो एक खाली गमला देखा। 


राजा ने पूछा, “यह खाली गमला किसका है?” 


क्षितिज डरते हुए आंखें झुकाकर बोला, “यह मेरा गमला है। मैंने बहुत कोशिश की लेकिन इसमें पौधा आया ही नहीं।” राजा ने उसे अपने साथ आने के लिए कहा। क्षितिज और ज्यादा डर गया। कांपते हुए वो राजा के साथ आगे बढ़ने लगा। 


राजा उसे सिंहासन की तरफ ले गए और कहा, “तुम ही इस सिंहासन के असली हकदार हो। तुम्हें ही मैं अपना उत्तराधिकारी घोषित करुंगा।” राजभवन में मौजूद सभी लोग हैरान हो गए और हैरानी से राजा की तरफ देखने लगे। 


राजा ने कहा, “आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि मैंने इन सबको ऐसे बीज दिए थे, जिसमें पौधा आ ही नहीं सकता था। खाली गमला लाकर क्षितिज ने यह साबित कर दिया कि वो इन सबमें सबसे ईमानदार है। इसी में राजा के गुण हैं।” 


हरे-भरे गमले लेकर आए लड़कों ने शर्म से अपनी गर्दन झुका ली। उसी समय राजा ने अपने सिंहासन पर बैठकर पूरे विधि-विधान से क्षितिज को अपने राज्य का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। 


कहानी से सीख : चाहे परिस्थिति जैसी भी हो, इंसान को सच का दामन नहीं छोड़ना चाहिए।

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