विजयनगर के महाराज कृष्णदेव राय हमेशा तेनालीराम से ऐसे सवाल पूछते थे, जिसका जवाब कोई और नहीं दे पाता था। उन्हें तेनाली के जवाब सुनने में बड़ा आनंद आता था, क्योंकि उनके जवाब के बाद सब चकित रह जाते थे।
एक दिन महाराज को तेनाली से कुछ अजीब सवाल पूछने का मन हुआ। उन्होंने तेनालीराम को राजदरबार में बुलाया। राजा ने पूछा, "तेनाली क्या तुम बता सकते हो कि हमारे राज्य में कुल कितने कौवे होंगे।"
तेनालीराम बोले, "जी महाराज! मैं आपके इस सवाल का बिल्कुल जवाब दे सकता है।
महाराज कृष्णदेव राय ने कहा, "अगर तुमने गलत जवाब दिया, तो मैं तुम्हें मौत की सजा सुना दूंगा।"
तेनालीराम बोले, "आप भरोसा रखिए, मुझे दो दिन का वक्त दीजिए। मैं कौवों की एकदम सही संख्या बताऊंगा। अगर आपको गलत लगे, तो आप मुझे मृत्यु दण्ड दे दीजिएगा। "
तेनाली से जलने वाले राजमहल के मंत्री व अन्य लोग खुश हो गए। उन्हें लगा कि राजा के सवाल में तनाली फंस गया है और अब इसे कभी भी सजा हो सकती है।
दो दिन के बाद महाराज ने तेनाली को जवाब देने के लिए कहा। तेनालीराम बोले, "पूरे राज्य में कौवे की संख्या 1 लाख 20 हजार पांच सौ पचास है।
महाराज ने हैरानी से पूछा, "क्या इतने सारे कौवे हैं यहां?
तेनाली ने जवाब दिया, "आपको विश्वास नहीं होता है, तो आप किसी दूसरे से भी कौवे की संख्या को गिनवा सकते हैं।
महाराज बोले, "अगर गिनती कम-या-ज्यादा हुई तो?"
तेनालीराम ने कहा, "ऐसा नहीं हो सकता। अगर हुआ था तो इसका मतलब यही होगा कि कुछ कौवे दूसरे राज्य से यहां घूमने आए हैं या कुछ हमारे राज्य से दूसरे राज्य दोस्त, रिश्तेदारों से मिलने गए हैं। इस स्थिति के अलावा किसी स्थिति में कौवो की संख्या कम-या-ज्यादा नहीं हो सकती है।"
तेनालीराम का जवाब सुनकर महाराज लाजवाब हो गए। तेनालीराम के विरोधी भी सोचने लगे कि इसका दिमाग, तो काफी ज्यादा चलता है।
कहानी से सीख - बुद्धि से हर मुश्किल का हल निकलता है और हर सवाल का जवाब मिल जाता है।