पंचतंत्र की कहानी: भूखी चिड़िया | Hungry Bird Story In Hindi

एक घोंसले में टींकू नाम की चिड़िया अपने परिवार के संग रहती थी। उसके 5 भाई-बहन थे, जिनमें टींकू सबसे छोटी थी। टींकू के पंख अभी आए ही थे। रोज उसकी माँ टींकू को घंटाघर के ताल पर उड़ना सिखाती थी। वही पास में पक्षियों को दाना डालने वाली महिला रहती थी। 

रोज वो महिला उस ताल में बहुत सारा दाना और रोटी के टुकड़े डालती थी। टींकू के साथ ही उसका पूरा परिवार वहां आकर अपना पेट भर लेता था।   


एक दिन वो महिला उस जगह को छोड़कर चली गई। टींकू और उसका परिवार महिला से दाना मिलने की आस में बैठे रहे। जब दाना मिले कई दिन हो गए, तो सबने मिलकर दाना जुटाने की कोशिश शुरू कर दी।


बड़ी मुश्किल से टींकू के पिता तीन कीड़े जुटा पाए। परिवार में 7 लोग थे, इससे किसी का पेट नहीं भरेगा उन्हें पता था। उन्होंने टींकू और दूसरे छोटे बच्चों को खिलाने के लिए वो तीन कीड़े रख दिए और दोबारा खाने की तलाश में निकल गए।


टींकू भी अपनी माँ और भाई के साथ खाना ढूंढ रही थी। तभी उसने एक घर के दरवाजे में चोंच मारी। खाने को तो कुछ मिला नहीं, लेकिन घर के एक आदमी ने उसपर राख उड़ेल दी। सबका रंग चांदी जैसा हो गया।


कुछ ही देर में टींकू के पिता को बहुत सारे कीड़े मिल गए। वो अपने परिवार को खुशखबरी देने के लिए घर आए। देखा तो घर में कोई नहीं था। 


जब टींकू अपनी माँ और भाई के साथ लौटी तो उसके पिता ने सबको घर से भगा दिया। दरअसल, राख से उनका रंग चांदी जैसा होने के कारण वो उन्हें पहचान नहीं पाए। 


टींकू दोबारा आई और अपने पिता को समझाने लगी। पिता गुस्से में थे, उन्होंने उसकी एक नहीं सुनी। 


टींकू तेजी से अपने परिवार को एक नदी में ले गई और सबने साथ में वहां नहाकर निकल गए। अब उनका राख के कारण हुआ बदला हुआ रंग उतर गया।


सब दोबारा घर लौटे, तो टींकू के पिता को बड़ा अफसोस हुआ। उन्होंने कहा, मुझे माफ कर दो। मेरी वजह से तुम सबको बड़ी तकलीफ हुई। 


कहानी से सीख - पहली सीख यह है कि किसी पर निर्भरता अच्छी नहीं है। दूसरी सीख यह है कि हार मानकर इंसान को कभी नहीं बैठना चाहिए।

Popular Posts