हिम्मत दास की कथा | Himmat Das Ki Katha in Hindi

मध्य प्रदेश के एक गाँव बराय में बांके बिहारी का एक बड़ा भक्त हिम्मत दास रहता था। वह रोज 15 किलोमीटर चलकर कीर्तन करते हुए उनके दर्शन करने जाता था। 

एक दिन हिम्मत दास अपने कीर्तन का चिमटा बजाते हुए बांके बिहारी जी के दर्शन करने जा रहा था। तभी 4 चोरों ने उन्हें रोक दिया और पैसे मांगने लगे।


हिम्मत दास ने कहा कि मेरे पास कोई पैसा नहीं है। पैसे और कोई दूसरा सामान नहीं था, इसलिए चोरों ने हिम्मतदास का कीर्तन करने वाला चिमटा छीन लिया।


चिमटा छीनकर चोर जाने लगे। तभी सभी चोरों को दिखना बंद हो गया। चोर किसी तरह हिम्मत दास के पास दोबारा पहुंचे और कहा कि आप अपना चिमटा वापस ले लीजिए।


हिम्मत दास को समझ नहीं आया कि वो चोर चिमटा लेकर वापस क्यों आ गए। तभी हिम्मत दास को पता चला कि सभी चोर अँधे हो रखे हैं। 


हिम्मत दास को बहुत दुख हुआ। वो बोला, हे भगवान! इन्हें इतना बड़ा दण्ड मत दो। तभी उनकी आँखों की रोशनी लौट आई। 


चोरों के कारण हिम्मत दास को मंदिर पहुँचने में देर हो गई। मंदिर में आरती हो चुकी थी, इसलिए मंदिर के कपाट बंद हो गए।


बंद मंदिर के पास बैठकर हिम्मत दास बोला, “आज आपके दर्शन के बिना मैं खाना कैसे खाऊँगा?”


तभी मूर्ति से स्वयं भगवान निकलकर हिम्मत के पास दर्शन देने आ गए और उसे खाना खिलाया। भगवान ने कहा, "मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूं, इसलिए मैं तुम्हें भूखा सोने नहीं दे सकता हूं।


मंदिर के महंत ने यह चमत्कार देखकर हिम्मत दास को मंदिर में ही रहकर संतों की सेवा करने का निवेदन किया। 


मंदिर में अधिक साधु आते थे, इसलिए पैसे कम होने पर हिम्मत दास एक सेठ से उधार ले लेता था। 


एक दिन संतों की बड़ी मंडली मंदिर पहुँची। हिम्मत दास उनके भोजन के लिए राशन लेने उसी सेठ के पास गया। 


सेठ ने कहा, “पहले तुम बकाया चुकाओ, फिर सामान लेकर जाना।”


पैसे तो थे नहीं इसलिए वह अपनी पत्नी के पास गया। तुरंत पत्नी ने अपनी नाक की नथ निकालकर हिम्मत दास को दे दी। 


नथ गिरवी रखकर वह सामान लाया और साधुओं को भोजन करा दिया।


हिम्मत दास की श्रद्धा देखकर भगवान ने सेठ के पैसे चुका दिए और नथ ले जाकर उसके घर में रख दी।


जब उसने घर में नथ देखी, तो वह तुरंत सेठ के पास गया और पूछा, वह नथ कौन ले गया?


सेठ बोला, “तुम ही तो आए थे और पैसे चुकाकर नथ ले गए।”


भगवान का धन्यवाद करते हुए वह मंदिर चला गया।


कहानी से सीख - हिम्मत दास की कथा से यह सीख मिलती है कि निस्वार्थ भक्ति करने वालों को भगवान दर्शन भी देते हैं और उनके दुखों को भी हरते हैं।

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