“एक ब्राह्मणी की जिज्ञासा जानने के बाद दुर्गा देवी ने कहा कि मैं तुम्हें सभी पापों और कष्टों को दूर करने वाली और मोक्षदायिनी नवरात्र व्रत विधि बताऊँगी। आश्विन मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा में नौ दिनों तक लगातार व्रत रखते हुए एक समय का भोजन करना चाहिए। पढ़े-लिखे ब्राह्मण देवों से पूछकर पूजा के स्थल में कलश स्थापना करनी होगी और वाटिका बनाकर उसे रोज़ाना शुद्ध जल से सींचना होगा।”
“पूजा स्थल में माँ काली, माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती की मूर्तियों की रोज़ाना विधि पूर्वक पूजा करने के साथ ही पुष्ष अर्पित करने होंगे। बिजौरा का फूल अर्पित करने और उससे अर्घ्य देने से रूप मिलेगा। जायफल से कीर्ति यानी यश की प्राप्ति होगी, दाख से सभी कार्य सिद्ध होंगे। आंवला घर में सुख लाएगा और केला रत्न व ज़ेवर देगा। इस तरह फल और फूलों से अर्घ्य देकर हवन करना होगा।”
“हवन करना होगा घी, तिल, जौ, गेहूँ, खांड, शहद, नारियल, कदम्ब, बेल और दाख यानी अंगूर व मुनक्का से। गेहूँ से घर में धन-दौलत आती है। चम्पा के फूलों से भी धन मिलेगा, पत्तों से सुख, आंवला से कीर्ति, केले से संतान प्राप्ति, अंगूर यानी दाखों से सुख-समृद्धि, कमल के फूल से सम्मान और जौ, तिल, खंड, नारियल, आदि से मनोवांछित वस्तु व इच्छा की प्राप्ति होगी।”
“व्रती को हवन के बाद आचार्य को विनम्रता से प्रणाम करना होगा और दक्षिणा देनी होगी। नवरात्र व्रत को जो भी इस विधि से करेगा उसके सारे मनोरथ सिद्ध हो जाएंगे। नवरात्र के दिनों में जितना दान-पुण्य किया जाता है, उसका करोड़ों गुना व्रती को वापस मिलता है। इस महान व्रत से अश्वमेध यज्ञ करने का फल भी मिलता है। नवरात्र व्रत को किसी तीर्थ के मंदिर या अपने घर में ही विधि पूर्वक करना चाहिए।”
इतनी कथा सुनाने के बाद ब्रह्म देव बोले, “हे बृहस्पति, इस तरह सुमति नामक ब्राह्मणी को नवरात्र व्रत व पूजा की विधि बताकर माँ वहाँ से अंतर्ध्यान हो गईं। कोई भी पुरुष व स्त्री इस व्रत को पूरी लगन, श्रद्धा और भक्ति से करके सुख-समृद्धि पा सकते हैं। इस लोक में सुख और परलोक में मोक्ष की प्राप्ति होगी।”
ब्रह्म देव से नवरात्र व्रत का महत्व, फल और विधि जानने के बाद बृहस्पति जी ने कहा, “आपने मुझपर बड़ी कृपा की है। इस महान व्रत के बारे में जानकर मैं धन्य हो गया। मुझे आपके अलावा कौन इस महान कथा के बारे में बताता?”
बृहस्पति जी के प्रेम पूर्वक वचनों को सुनकर ब्रह्म देव बोले, “आपने प्राणियों का कल्याण करने के लिए इस अलौकिक व्रत के बारे में पूछा। आप धन्य हैं।”
