सालों पहले जावा साम्राज्य में सिदी मान्तरा नाम का एक ज्ञानी ब्राह्मण रहता था। जावा साम्राज्य का सम्राट भी उस ब्राह्मण के ज्ञान से बेहद खुश था। उन्होंने ब्राह्मण को काफी सुख-सुविधाएं दे रखी थीं।
कुछ समय बाद उस ब्राह्मण ने एक खूबसूरत लड़की से विवाह कर लिया। कुछ सालों बाद उनके घर एक बेटा का जन्म हुआ। उसका नाम ब्राह्मण ने मानिक रखा। मानिक भी बड़ा होकर पिता की तरह बुद्धिमान हो गया।
मानिक को भी जावा साम्राज्य के सम्राट से काफी सम्मान मिलने लगा। यूं तो मानिक बुद्धिमान था और बहुत-सी अच्छी आदतें थी, लेकिन जुआ खेलने की लत उसे पड़ गई थी।
जुए की लत के कारण मानिक घर की सारी संपत्ति बर्बाद कर दी और कर्ज में डूब गया। बेटे के कारण घर की ऐसी स्थिति देखकर उसके माता-पिता परेशान व दुखी रहने लगे।
सारे लोग अपने पैसे मानिक से मांगने लगे, तो वो परेशान होकर अपने पिता के पास गया। ब्राह्मण सिदी मान्तरा को बेटे के ऊपर दया आ गई। पिता ने सोचा कि मैं पूरे गांव के लोगों के घर पूजा-पाठ करके बेटे का कर्ज चुका दूंगा। मगर ऐसा हो नहीं पाया।
एक दिन बेटे के कर्ज को चुकाने के बारे में सोचते-सोचते ब्राह्मण को नींद आ गई। उसने सपने देखा कि पूर्व दिशा में ज्वालामुखी पहाड़ी के पास काफी सारा खजाना है। नींद में ब्राह्मण ने देखा कि बेसुकी उस खजाने की सुरक्षा करता है।
सपना टूटने के बाद ब्राह्मण ने सारी बातें अपनी पत्नी को बता दी। उसने अपने पति सिदी मान्तरा से कहा, हमें एक बार उस पहाड़ में जाकर देखना चाहिए। शायद हमें धन मिल जाए और हम अपने बेटे का कर्ज चुका सके। आखिर हमारा बेटा बिगड़ा भी तो हमारे प्यार की वजह से ही है।
अगले दिन दोनों पति-पत्नी ज्वालामुखी पर्वत के लिए निकल गए। कड़ी दिक्कतों का सामना करने के बाद वो पर्वत तक पहुंचे। उन्होंने मंत्रों का उच्चारण करते हुए पास के मंदिर की घंटी बजाई। उसी समय बेसुकी व्यक्ति वहां आए।
सिदी मान्तरा ने उन्हें सपने में देखा था, इसलिए तुरंत पहचान लिया और झुककर प्रणाम किया। ब्राह्मण ने अपनी दिक्कत बेसुकी को बता दी। बेसुकी जानते थे कि सिदी मान्तरा एक ज्ञानी ब्राह्मण है, इसलिए उन्होंने उसे जेवर और सोने के सिक्के दिखा दिए।
बेसुकी ने कहा कि अपनी जरूरत के हिसाब से आप यहां से धन और जेवर लेकर चले जाएं। यह कहते ही वो अंतर्ध्यान हो गए। सिदी मान्तरा और उनकी पत्नी वहां से धन लेकर जाने लगे।
घर में अपने माता-पिता को न देखकर मानिक परेशान हो गया। उसे डर लगने लगा कि कहीं उसके कर्ज के कारण मां-बार किसी दिक्कत में तो नहीं हैं।
उसी समय किसी ने दरवाजा खटखटाया। दौड़कर मानिक दरवाजा खोलने गया। माता-पिता को घर लौटा हुआ देखकर वो खुश हो गया। उसने माता-पिता से पूछा कि आप लोग कहा थे। उन्होंने जवाब देने के बजाय बात को टाल दिया।
अगले दिन उन्होंने अपने बेटे को पैसा और जेवर देकर कर्ज चुकाने को कहा। इतना पैसा देखकर वो हैरान हो गया। उसने पूछा, इतना सारा पैसा कहा से आया। उन्होंने दोबारा इस बात का जवाब नहीं दिया और कहा कि तुम अपना कर्ज चुका दो, यही अभी जरूरी है।
मानिक ने झट से अपने माता-पिता के पैर छुए और दोबारा जुआ न खेलने की कसम खाई। इतना कहकर मानिक घर से बाहर चला गया। उसके माता-पिता पूजा-पाठ में लग गए।
कहानी से सीख - प्यार की वजह किसी को इतना भी नहीं बिगड़ जाना चाहिए कि जुए की लत लग जाए। साथ ही इंसान को दूसरा मौका भी देना चाहिए।