होशियार राज्य में सालों पहले एक बुद्धिमान राजा शेरदिल रहता था। उनकी बुद्धिमत्ता की चर्चा दूसरे राज्यों तक थी। इसके कारण सभी दूसरे राजा-रानी और अन्य मंत्री उससे जलते थे।
राजा कभी कोई कार्य बिना सोचे नहीं करता था। अगर किसी पर आरोप लगता था, तो राजा उसकी भी पूरी बातें सुनते थे। उसके बाद ही राजा कोई फैसला लेते थे।
राजा शेरदिल की बुद्धिमत्ता से चलन के कारण कोई-न-कोई उनकी आए दिन नए तरीके से परीक्षा लेता रहता था। मगर हर बार राजा शेरदिल बुद्धिमत्ता की परीक्षा में खरा उतरता था।
एक दिन राजा शेरदिल की परीक्षा लेने पास के ही एक राज्य से एक राजकुमारी आई। होशियार राज्य के राजदरबार में राजकुमारी दो फूल माला लेकर पहुंची।
दोनों मालाएं लेकर उसने राजा शेरदिल से पूछा, आपको बड़ा बुद्धमान माना जाता है। मेरे हाथ में दो फूल मालाएं हैं। इनमें से कौन-सी अच्छी है और कौन-सी नकली, यह आपको बताना होगा। तभी मैं मानूंगी कि आप बुद्धिमान हैं।
दोनों मालाएं असली दिखती थीं। राजा ने सोचा ऐसे में इन मालाओं का भेद बता पाना तो मुश्किल होगा। राजदरबार के लोग भी इन मालाओं को देखकर हैरान थे।
राजा ने तभी अपने एक सैनिक को कहा कि तुम बगीचे के तरफ की खिड़कियों को खोल दो। खिड़की खोलते ही कुछ मधुमक्खियां राजदरबार में आ गई।
कुछ देर मधुमक्खियों को देखने के बाद राजा ने कहा, राजकुमारी, मैं बता सकता हूं कि आपके कौन-से हाथ की माला असली है।
राजा ने कहा, आपके बाएं हाथ की माला असली है। उसमें मधुमक्खी बैठी है। राजा का जवाब एकदम सही था। राजकुमारी ने इस बात को सुनते ही राजा की बुद्धिमानी की तारीफ की।
राजदरबार के लोग भी कहने लगे कि आप बड़े ही बुद्धिमान राजा हैं। हमारे राज्य को आपके जैसे ही राजा की आवश्यता है।
कहानी से सीख - बुद्धि का इस्तेमाल करने से मुश्किल-से-मुश्किल सवाल का सही जवाब मिल जाता है।