ऐडम और ईव की कहानी | Adam and Eve Bible Story in Hindi

यह बात तब की है जब लॉर्ड (भगवान) सृष्टि की रचना कर रहे थे। बाइबल के अनुसार, भगवान ने जब सृष्टि की रचना शुरू की, तब इस संसार में कुछ भी नहीं था। अंधकार भी नहीं, प्रकाश भी नहीं, आसामान भी नहीं, प्रकृति भी नहीं, हवा भी नहीं और जल भी नहीं। भगवान ने शुरू में ये सबकुछ बनाया उसके बाद मछली और अन्य पशु-पक्षी की रचना की।


सबसे पहले ईश्वर ने मिट्टी से मनुष्य की संरचना की और फिर उसमें जान फूंक दी। उस मनुष्य का नाम ऐडम रखा। ईश्वर ने ऐडम को ईडन गार्डन (बगीचा) नामक जगह में रखा। वह बहुत ही सुंदर बगीचा था। वहाँ इतने सुंदर पेड़ और पशु-पक्षी थे कि उन्हें देखते ही हर किसी का मन मोहित हो जाता था। 


ईश्वर ने ऐडम को उसी बगीचे का ख़्याल रखने की ज़िम्मेदारी सौंप दी। भगवान ने ऐडम को कहा, “तुम इस बगीचे की देखभाल भी करो और यहाँ लगने वाले फलों को खाकर अपनी भूख को शांत भी कर लेना। तुम अमर हो। बस, यहाँ एक वृक्ष है - ‘भले-बुरे का ज्ञान’ उसका फल कभी मत खाना। वरना तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी।


ऐडम उस बगीचे को अच्छे से संभालने लगा। एक दिन ईश्वर के मन में हुआ कि ऐडम अकेला है। इसे किसी साथी की ज़रूरत होगी। इसी सोच के साथ उन्होंने जब ऐडम सो रहा था, तो उसकी एक मांसपेशी निकालकर एक स्त्री की रचना की और उसका नाम ईव रखा।


जैसे ही ऐडम की नींद खुली, तो उसने ईव को अपने बगल में देखा। तभी भगवान वहाँ प्रकट हुए और कहा, “तुम दोनों इस बगीचे में रहो और जितना मन हो उतने फल खाओ। बस उस ‘भले-बुरे का ज्ञान’ वृक्ष से कोई फल तोड़कर मत खाना। ऐसा किया, तो तुम दोनों की मृत्यु हो जाएगी।” यह कहते ही भगवान वहाँ से ओझल हो गए।


ईश्वर के जाने के बाद ऐडम और ईव ख़ुशी-ख़ुशी उस बगीचे में रहने लगे। एक दिन भूख लगने पर ईव उस मनमोहक बगीचे से फल तोड़ने लगी। तभी वहाँ एक साँप आ गया। उसने ईव से पूछा, “क्या भगवान ने तुम्हें इस बगीचे के सभी फल खाने की आज्ञा दी है?”


ईव ने ज़वाब दिया, “हाँ, बस एक पेड़ को छोड़कर भगवान ने सारे फल खाने की आज्ञा दी है। भगवान ने कहा है कि अगर ‘भले-बुरे का ज्ञान’ वृक्ष का फल खाया, तो हमारी मृत्यु हो जाएगी।”


साँप बोला, “अरे नहीं, भगवान ने उस पेड़ का फल खाने से इसलिए मना किया है, क्योंकि उसे खाते ही तुम लोग भी ईश्वर बन जाओगे। उनकी जैसी ही सारी शक्तियाँ तुम लोगों में भी आ जाएगी।”


साँप की ये बातें सुनकर ईव का दिमाग ग़लत दिशा में चलने लगा। वो ‘भले-बुरे का ज्ञान’ वृक्ष के समीप गई। उसमें बहुत ही सुंदर फल लगे हुए थे और उनकी सुगंध भी बड़ी अच्छी थी। उन फलों को देखते ही लालच में आकर ईव ने एक फल खा लिया और एक फल ऐडम को भी खिला दिया।


फल खाने के बाद उन दोनों को भले-बुरे का ज्ञान होने लगा। फल खाते ही उन दोनों को अनुभव हुआ कि उनका शरीर पूरी तरह से नग्न है। उन्होंने लज्जा के मारे पास के ही अंजीर के पेड़ के पत्तों से कपड़े बनाकर अपने अंगों को ढक लिया।


तभी भगवान को भी पता चल गया कि उन्होंने ‘भले-बुरे का ज्ञान’ वृक्ष का फल खा लिया है। उसी समय भगवान वहाँ प्रकट हुए और ईव-ऐडम से पूछा, “क्या तुम लोगों ने ‘भले-बुरे का ज्ञान’ वृक्ष का फल खाया है?”


ऐडम ने डरते हुए कहा, “प्रभु, मुझे ईव ने यह फल खिलाया था।”


तभी ईव बोल पड़ी, “भगवान मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं थी, लेकिन वहाँ साँप ने आकर मुझसे कहा कि मैं वो फल खा लूँ। इससे हम भी ईश्वर बन जाएँगे। उसके बहकावे में आकर मैंने फल खा लिया।”


ईव और ऐडम दोनों ने भगवान से माफ़ी माँगी, लेकिन भगवान ने उन्हें ही नहीं, बल्कि साँप को भी इस करनी की सज़ा दी। 


ईश्वर ने कहा, “ईव, तुम्हारे इस अपराध के कारण अब जब भी कभी तुम शिशु को जन्म दोगी, तो तुम्हें असहनीय पीड़ा होगी। ऐडम, आगे से तुम्हें खाना-पीना मुफ़्त में नहीं मिलेगा। इसके लिए तुम्हें मेहनत करनी होगी और ख़ून-पसीना एक करना पड़ेगा। अब तुम अमर भी नहीं रहे, तुम्हारी मृत्यु अवश्य होगी। मैंने जिस मिट्टी से तुम्हें और ईव को बनाया था, तुम दोनों उसी मिट्टी में मिल जाओगे।”


साँप को उसकी ग़लती की सज़ा देते हुए कहा, “तुम ज़मीन में रेंगोगे। तुम्हारे और मनुष्यों के बीच में हमेशा ही मतभेद रहेगा। साँप मनुष्य को काटेगा और मनुष्य साँप को कुचलेगा।” 


इतना कहकर भगवान ने ऐडम, ईव और साँप तीनों को ही ईडन गार्डन से तुरंत बाहर निकलवा दिया।  


ईव और ऐडम के पहले बच्चे कैन और एबल थे। एबल भेड़ों की रखवाली करता था और परमेश्वर भी उसे बहुत सम्मान देते थे। कैन ने इसी ईर्ष्या के चलते एबल को जान से मार दिया। एबल के बाद सेथ का जन्म हुआ। इसके बाद भी ऐडम और ईव के कई बेटे और बेटियाँ हुईं। फिर होते-होते ऐडम की नौसो तीस वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई।



कहानी से सीख - लोगों की बातों में नहीं आना चाहिए। इससे हमेशा हानि ही होती है। साथ ही ज्ञानी लोगों द्वारा कही गई बातों का उल्लंघन करने का परिणाम भी हानिकारक होता है।


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