सुनहरे गोबर की कहानी | Tale Of The Golden Droppings Story In Hindi

मिश्र राज्य के रामपुर चौराहे में एक बरगद का पेड़ था, जिसपर सिन्धुक नाम का एक पक्षी रहता था। वह पक्षी जब भी फ्रेश होता था, तो उसका मल कुछ देर में सोने का हो जाता था। इस बात से आसपास के सभी लोग अनजान थे। 

एक बार उस बरगद के पेड़ के पास से सिम्भा शिकारी जा रहा था। जंगल में शिकार करने के बाद वो थक गया था, इसलिए वो कुछ देर के लिए बरगद के पेड़ के नीचे आराम करने रुक गया। 


उसी समय सिन्धुक पक्षी ने मल त्यागा। पक्षी का शिकारी के सामने ही बरगद के पेड़ के नीचे गिरा। कुछ ही देर में शिकारी ने देखा कि वह मल सोने में बदल गया है। 


मल का सोने में बदलना शिकारी का लिए हैरान करने वाली बात थी। लालच में आकर उसने पक्षी को पकड़ने के लिए एक जाल बिछा दिया।


कुछ देर इंतजार करने के बाद सिन्धुक चिड़िया उस जाल में फंस गई। चीड़िया को घर लाकर शिकारी ने एक पिंजरे में बंद कर दिया। 


पिंजरे में बंद चिड़िया को देखकर शिकारी के मन में मिश्र राज्य के कठोर नियम आ गए। उसने सोचा, अगर राजा को पता चल गया कि सोने का मल देने वाली चिड़िया मेरे पास है, तो मुझे सजा मिलेगी। चिड़िया भी हाथ से जाएगी और मेरी जिंदगी भी नहीं बचेगी।


इसी डर के मारे शिकारी तेजी से सिन्धुक चिड़िया को राजा के पास ले गया। उसने राजा को भरे दरबार में बताया कि यह चिड़िया का मल सोने का बन जाता है। आप इसे अपने पास रख लें। इतना कहकर शिकारी राजा को प्रणाम करके राज दरबार से चला गया।


राजा ने सिन्धुक चिड़िया को अच्छे से रखने का आदेश अपने एक सिपाही को दिया। उस वक्त राजा के खास मंत्री बोले, ऐसा नहीं हो सकता कि कोई चिड़िया सोने का मल दे। यह शिकारी हमें बेवकूफ बना रहा है। पक्षी को पिंजरे में रखने की जगह इसे आजाद कर दीजिए।


मंत्री की बात राजा को सही लगी। उन्होंने चिड़िया को पिंजरे से निकालकर आजाद करने को कहा। पिंजरे से निकले ही खुशी के मारे चिड़िया ने राजा के दरबार के बाहर मल त्याग दिया। मल जमीन पर आते ही सोने का हो गया। राजा यह देखकर अपना सिर पिटने लगे।


सिन्धुक चिड़िया ने मल त्यागने के बाद चहचहाते हुए कहा, यहां हर जगह बेवकूफ भरे हुए हैं। पहले मैंने उस शिकारी के सामने मल त्यागकर बेवकूफी की। उसके बाद शिकारी ने मुझे तुम्हारे पास लाकर। उसके बाद तुमने अपनी मंत्री की बात सुनकर।


कहानी से सीख - दूसरों की बातें सुननी चाहिए, लेकिन उनपर बिना सोचे समझे अमल नहीं करना चाहिए। जीवन का हर कदम संभलकर उठाना चाहिए। 


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