जेकब और ऐसौ बाइबल कहानी | Jacob and Esau Bible Story in Hindi

अब्राहम की मौत के बाद उसके बेटे इसाक ने अपने पिता से विरासत में मिली हर चीज़ को अच्छे से संभाला। कुछ समय के बाद उसने रेबेका नामक एक लड़की से विवाह किया। इसाक अपने पिता अब्राहम की तरह ही ईश्वर पर बड़ी श्रद्धा रखता था और उनसे ख़ूब प्रेम करता था।

वो कुछ समय से ईश्वर से संतान सुख की प्राप्ति की प्रार्थना कर रहा था। भगवान के लिए इसाक के मन में जितना प्रेम था उतना ही प्रेम भगवान के दिल में इसाक के लिए भी था। इसी वजह से भगवान ने जल्दी उसकी प्रार्थना सुन ली और उसे दो जुड़वां बच्चों का पिता बना दिया।

दो जुड़वां बच्चे होने के बाद इसाक बेहद ख़ुश था। ईसाक का बड़ा बच्चा ज़्यादा तंदरुस्त था और छोटा वाला थोड़ा कमज़ोर। पहले पैदा हुए बेटे का नाम इसाक ने ऐसौ रखा और दूसरे बेटे को जेकब नाम दिया। भले ही ऐसौ, जेकब से कुछ पल पहले ही पैदा हुआ था, लेकिन बड़े होने के कारण ऐसौ को जन्म का अधिकार मिला। इस अधिकार के चलते बड़े बेटे को पिता की धन-संपत्ति व अन्य चीज़ों का अधिक हिस्सा मिलता है। 

इसाक को अपने बड़े बेटे ऐकौ से अधिक लगाव हो गया था और इसाक की पत्नी रेबेका को छोटे बेटे जेकब से। होते-होते दोनों भाई बड़े हो गए। ऐसौ एक निडर शिकारी बना और जेकब घर में ही रहकर भेड़ों की देखरेख करता था।

ऐसौ को जैसे शिकार करने का शौक था, वैसे ही जेकब को पढ़ाई का शौक था। वक़्त मिलते ही जेकब आस-पास की किताबें पढ़ने लग जाता।

एक दिन जेकब घर में शोरबा बना रहा था, तभी ऐसौ शिकार से लौटा। ऐसौ के हाथ खाली देखकर जेकब ने उसका मज़ाक बनाते हुए पूछा, “भाई, क्या बात है आज आप खाली हाथ लौटे हो? आप पहले के मुकाबले सुस्त होते जा रहे हो।

ऐसौ ने जवाब दिया, “आजकल जानवर सतर्क हो गए हैं। थोड़ी भी आहट होती है, तो वो जान जाते हैं कि कोई शिकार करने के लिए आया है। वो तुरंत कहीं छुप जाते हैं, इसलिए शिकार करना मुश्किल हो जाता है।”

फिर ऐसौ ने कहा, “तुम मेरी छोड़ो, ये बताओ कि तुम क्या बना रहे हो?।”

जेकब बोला, “मैं बना तो शोरबा रहा हूँ, लेकिन यह तुम्हारे लिए बिल्कुल नहीं है।”

शिकार से थककर आने के बाद ऐसौ को हल्की भूख भी लगी थी। उसने जेकब से प्रार्थना करते हुए कहा, “भाई मैं शिकार से लौटा हूँ। मुझे थोड़ा शोरबा पीने के लिए दे दो। इससे मेरी भूख शांत हो जाएगी।”

जेकब ने गर्दन हिलाते हुए ना कहा। इसी तरह ऐसौ ने दो-तीन बार जेकब से शोरबा माँगा और उसने हर बार मना कर दिया।

आखिर में जेकब ने कहा, “मैं तुम्हें शोरबा दे सकता हूँ, लेकिन इसके लिए तुम्हें मुझे एक वादा करना होगा। तुम अपने जन्म का अधिकार दे दो। तुम ईश्वर को साक्षी मानकर कहो कि तुम मुझे जन्म का अधिकार दोगे। तभी मैं तुम्हें शोरबा पीने के लिए दूँगा।”

ऐसौ को बहुत भूख लगी थी, इसलिए उसने जन्म का अधिकार अपने छोटे भाई जेकब को दे दिया। उसे पता नहीं था कि वह अधिकार कितना बड़ा है। उसने शोरबा पीने के लिए झट से भगवान की शपत लेकर कह दिया कि मैं अपने जन्म का अधिकार जेकब को दे रहा हूँ।

जेकब ने ख़ुश होकर उसे शोरबा दे दिया। इनकी ये सारी बातें ऐसौ और जेकब की माँ रेबेका ने सुन ली थी। वो भी यही चाहती थी कि जेकब को ही यह अधिकार मिले।

समय के साथ ऐसौ व जेकब दोनों बड़े हो गए और उनके पिता इसाक बूढ़े हो गए। इसाक की आँखों की रोशनी इतनी कमज़ोर हो गई कि वो अपने बेटों को उनकी आवाज़ से और उन्हें छू कर ही पहचानते थे। 

इसाक का जब अंतिम समय नज़दीक आ गया, तो उन्होंने ऐसौ से कहा, “बेटे अब मेरे पास ज़्यादा समय नहीं है। तुम मुझे एक हिरण बनाकर खिला दो। मुझे तुम्हारे हाथों का पका हुआ हिरण का मांस बहुत पसंद है। आखिर के दिनों में मैं स्वादिष्ट भोजन करना चाहता हूँ। उसके बाद मैं तुम्हें आशीर्वाद दूँगा, ताकि ईश्वर तुम्हारा साथ हमेशा दे।”

ऐसौ ने कहा, “मैं कुछ ही देर में हिरण लेकर आऊँँगा और आपको खिलाऊँगा।” इतना कहकर ऐसौ हिरण के शिकार के लिए निकल गया। 

ऐसौ और इसाक की सारी बातें रेबेका ने सुन ली थी। उसने अपने छोटे बेटे जेकब को यह सारी बातें बता दी। उसने जेकब से कहा, “जाओ तुम अपने पिता के पास जाकर आशीर्वाद ले लो। तुम्हें बचपन में तुम्हारे भाई ने जन्म का अधिकार दे दिया था, इसलिए अब वो आशीर्वाद तुम्हें ही मिलना चाहिए। मेरी चाहत हमेशा से यही थी कि तुम्हें ही अपने पिता से यह आशीर्वाद मिले। अब जल्दी से जाकर एक मेमना लेकर आ जाओ।”

जेकब ने मेमना लेकर आने से पहले माँ रेबेका से पूछा, “माँ मुझे यह आशीर्वाद कैसे मिलेगा? पिता जी आवाज़ से सबको पहचानते हैं। ऐसौ की आवाज़ भारी है और मेरी हल्की। पिता जी मुझे छूकर भी पहचान लेंगे। मेरे शरीर में ऐसौ की तरह बाल नहीं हैं।” 

जबाव में उसकी माँ रेबेका बोली, “तुम वैसा करो जैसा मैंने कहा है। मैं बाकि देख लूँगी। बस तुम मेमने की खाल को मत फेंकने।”

जेकब ने वैसा ही किया। वो मेमना लाया और उसकी खाल निकालकर अपनी माँ को दे दी। रेबेका ने स्वादिष्ट खाना बनाया और इसाक को परोस दिया। फिर जेकब को मेमने की खाल पहनाई, ताकि छूने पर उसके शरीर में बालों का एहसास हो। इतना करने के बाद रेबेका ने जेकब को वो भोजन दिया और कहा कि, “यह अपने पिता को दे दो। वहाँ जाकर थोड़ी भारी आवाज़ में उनसे बात करना और तुम पहले ऐसौ के कपड़े पहन लो।”

उसने ऐसा ही किया। वो जैसे ही अपने पिता के पास पहुँचा उसने कहा, “पिता जी मैं लौट आया हूँ।”

पिता ने आवाज़ सुनकर कहा, “तुम्हारी आवाज़ तो जेकब जैसी है। मेरे करीब आओ मैं तुम्हें छूकर देखूँगा कि तुम ऐसौ हो या नहीं।” 

जेकब को छूकर इसाक ने उसे ऐसौ समझ लिया। भारी आवाज़ में जेकब ने कहा कि पिता जी मैं आपके लिए भोजन लेकर आया हूँ। इसे खा लीजिए।”

भोजन करते ही इसाक ने जेकब को ऐसौ समझकर आशीर्वाद दे दिया। कुछ ही देर में ऐसौ घर वापस आया, तो उसे इस सबके बारे में पता चल गया। उसे बहुत गुस्सा आया और उसने फैसला लिया कि वो जेकब को मार देगा। 
ऐसौ बोला, “जेकब ने मेरे साथ धोखा किया है। पहले बचपन में मेरा जन्म का अधिकार ले लिया और फिर मेरा आशीर्वाद भी ले लिया।”

माँ रेबेका को भी यह बात पता चल गई। उसने तुरंत जेकब को कनान छोड़कर जाने के लिए कह दिया। माँ की इजाज़त के बाद जेकब जल्दी से हरान शहर चला गया। रास्ता लंबा था, इसलिए उसे कई दिन लग गए। जाते समय एक रात को जेकब को सपने में ईश्वर दिखे, उन्होंने कहा, “मैं अब्राहम और इसाक की तरह ही तुम्हारे साथ भी हूँ। तुम्हारी मैं सदैव रक्षा करूँगा। तुम्हें एक ज़मीन भी दूँगा, जिसमें तुम रह सकोगे।"

जेकब की जैसे ही नींद खुली वह उठा और उस जगह पर एक निशान बना लिया। उसने वह चिह्न इसलिए बनाया, क्योंकि वह उस जगह को ईश्वर का स्थान मानने लगा था। उसने उस स्थान का नाम बेथल रख दिया।

आराम करने के कुछ समय के बाद जेकब हरान पहुँच गया। वहाँ जेकब अपने मामा लबान के साथ रहने लगा। इस तरह जेकब की जान ऐसौ से बच गई।

कहानी से सीख - हमें कभी किसी का अधिकार नहीं लेना चाहिए और ना ही दिया हुआ वचन भूलना चाहिए। अंत में भगवान भी उसका ही साथ देते हैं जो अपना वचन निभाता है।

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