कार्तिक मास पूजा विधि नियम | Kartik Maas Pooja Vidhi Niyam in Hindi

कार्तिक मास को सबसे पवित्र माह माना जाता है। यह महीना शरद पूर्णिमा से शुरू होता है और कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। कार्तिक मास में माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है, इसलिए इस समय पूजा-अर्चना और नियम को लेकर ख़ास ध्यान दिया जाता है। कार्तिक माह में व्रत, पूजा-पाठ, दान, ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से बड़ा पुण्य मिलता है। इसको लेकर कुछ विधि व नियम हैं, जिनका पालन करने पर ही पूजा-अर्चना का पूरा लाभ मिलता है। यह कुछ इस प्रकार हैं - 


1. सात्विकता - इस मास में सात्विकता का पालन करना आवश्यक है। माँस, मछली, शराब व अन्य अपेय पदार्थ व अभक्ष्य का भक्षण वर्जित होता है। इसके अलावा, कुछ लोग लहसुन, प्याज़ आदि तामसिक भोजन से भी परहेज़ करते हैं। 


कार्तिक मास पूजा विधि नियम | Kartik Maas Pooja Vidhi Niyam in Hindi
2. ब्रह्मचर्य -
कार्तिक माह में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए। इस दौरान वैवाहिक संबंध स्थापित करने से बचना चाहिए। इस समय ज़मीन पर सोना भी अच्छा माना जाता है। इससे अहंकार समाप्त होता है। 

3. ब्रह्म मुहूर्त में स्नान - सात्विकता और ब्रह्मचर्य जैसे नियम का पालन करने के बाद कार्तिक मास में पूजा-पाठ व व्रत-ध्यान करने का सबसे पहला नियम व विधि यही है कि ब्रह्म मुहूर्त में स्नान किया जाए। गंगा माँ में डूबकी लगाना व घर के पानी में गंगा जल की कुछ बूंदें डालकर स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।


4. स्नान करते समय मंत्रोच्चार - कार्तिक मास में स्नान करते समय मंत्रों का उच्चारण करना भी लाभदायक होता है। भगवान विष्णु व माँ लक्ष्मी से जुड़ा कोई मंत्र पढ़ सकते हैं या फिर घर में सुख-समृद्धि लाने वाला कोई मंत्र पढ़ा जा सकता है। आप इस मंत्र का उच्चारण भी कर सकते हैं। दु:खदरिद्रयनाषाय श्रीविश्णोस्तोशणाय च। प्रात:स्नानं करोम्यद्य माघे पापविनाशानं ।।


5. तुलसी पूजन - कार्तिक मास में तुलसी पूजन का बहुत महत्व है। स्नान के बाद तुलसी माता की पूजा करनी चाहिए। तुलसी माँ को प्रेम पूर्वक जल अर्पण करें। तुलसी पूजन के बाद तुलसी रोपण भी फलदायी होता है। पूजा समाप्त होने के बाद तुलसी का सेवन करना भी कार्तिक मास में अच्छा माना गया है। 


6. सूर्य को अर्घ्य - तुलसी माँ की पूजा करने के बाद कार्तिक मास में सूर्य देव को जल चढ़ाया जाता है।


7. दीपदान करना - किसी पवित्र नदी में दीपदान करना भी पुण्यदायक होता है। पवित्र नदी के अलावा साफ़ तालाब, घर के कोने के साथ ही तुलसी के पेड़ पर दीपदान किया जा सकता है।


8. दान - यह सब करने के बाद अन्न दान, गौ दान, आंवले के पौधे का दान या तुलसी के पौधे का दान किया जाना लाभकारी होता है। पशुओं को हरा चारा भी खिलाया जा सकता है।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास में इस बतायी गई विधि व नियम का पालन करना आवश्यक है। ऐसा नहीं करने पर कार्तिक मास में किये गए व्रत-पूजा का फल नहीं मिलता है या कम मिलता है।

Popular Posts