Happy Holi 2023: होली पर शायरी और बधाई संदेश

होली का दिन आने से पहले ही लोगों पर इस त्योहार का खुमार चढ़ने लगता है। बच्चों से लेकर बूढ़े सभी गुलाल, गुजिया, पिचकारी और ढेर सारी खुशियां लेकर आने वाली होली खेलने के लिए उत्साहित रहते हैं। इस त्योहार को और शानदार बनाने के लिए आप अपने रिश्तेदारों और अन्य अजीज लोगों को इन लेटेस्ट हैप्पी होली शायरी और बधाई संदेश की मदद से शुभकामनाएं दे सकते हैं।

Holi 2023: होली के अवसर पर शायरी और बधाई संदेश - Holi Wishes Quotes in Hindi

आप होली पर रंग खेलते हुए, लोगों से गले मिलते हुए भी शायराना अंदाज में बधाई दे सकते हैं। होली पर शायरी का उपयोग रंग खेलने के बाद या खेलते समय महफिल जमाने के लिए भी किया जा सकता है। चलिए, शुरू करते हैं होली पर शायरी -

  1. रंगों का त्योहार,
    अपनों का प्यार,
    मेरी तरफ से मुबारक हो,
    ये होली का त्योहार।
    हैप्पी होली 2023!
  1. होली को खुशी-खुशी मनाना है,
    अपनों से खुलकर प्यार जताना है,
    जो भी गिले-शिकवे हैं अपनों के बीच,
    उन सबको इस होली भूलाना है।
    होली का त्योहार मुबारक हो!
  1. गुलाल उड़ रहे हैं,
    खुशी से लोग झूम रहे हैं,
    इस खुशी के मौके पर,
    हम हैप्पी होली कह रहे हैं।
  1. होली जीवन में खुशियां लाए,
    हर तकलीफ को जड़ से मिटाए,
    हम प्रार्थना करते हैं कि इस होली,
    आपकी मनोकामनाएं पूरी हो जाएं।
    होली मुबारक हो!
  1. हंसी खुशी त्योहार मनाना है,
    रूठों को इस होली मनाना है,
    हमने आपके लिए घर में पकवान बनाए हैं,
    आज के दिन आपको हमारे घर आना है।
    होली की बधाइयां!
  1. हर पल खुश रहो,
    प्यार की हो बरसात,
    इस होली मिट जाए जीवन से,
    दुख की काली रात।
    होली की शुभकामनाएं!
  1. घर पर आपका इंतजार करेंगे,
    आप आ जाओ गुब्बारों से लड़ेंगे,
    थोड़ा आप रंग लगाना,
    थोड़ा हम रंग लगाएंगे,
    साथ में जमकर होली मनाएंगे।
    हैप्पी होली!
  1. खुशियों की बहार हो, आपस में प्यार हो,
    चेहरे पर हमेशा आपकी मुस्कान हो,
    ऐसा प्यारा आपका हर त्योहार हो।
    आज के दिन होली मुबारक हो!
  1. सब दूख दूर हो जाएं,
    जो चाहो वो मिल जाए,
    ये होली आपके जीवन में
    नई आशा लेकर आए।
    Happy Holi 2023!
  1. रंगों से सब खेल रहे हैं,
    खुशी-खुशी सब मिल रहे हैं,
    होली का त्योहार है,
    इसलिए खुशी से सब झूम रहे हैं।
    हैप्पी होली!
  1. हर तरफ ढोल नगाड़े बज रहे हैं,
    होली के लिए पंडाल सज रहे हैं,
    सबको एक जगह आना है,
    प्यार से होली मनाना है।

दोस्तों के लिए मजेदार होली बधाई संदेश - Holi Wishes in Hindi for Friends

Holi Wishes in Hindi - हैप्पी होली इमेज
होली की मस्ती में लोग / स्रोत - पिक्सेल
  1. प्यार के रंगों और खुशियों की पिचकारी वाली ये होली आपके पूरे परिवार को मुबारक हो।

  2. होलिका दहन के साथ दहन हों सारी तकलीफें, दूर हों सारे दुख और खुशियों के नए फूल खिलें।
    हैप्पी होली!

  3. भगवान मेरी ये फरियाद कबूल करे, आज होली का पहला गुब्बारा तेरे सिर पर आ गिरे। होली की बधाइयां दोस्त!

  4. सुरक्षित हो आपकी होली, जुबां पर हो हमेशा की तरह गुजिया-सी मीठी बोली। रंगों के त्योहार की शुभकामनाएं!

  5. न कल की थी, न आज करेंगे लड़ाई, लेकिन इस होली पर गुब्बारों से खूब करेंगे तेरी धुलाई। हैप्पी होली यारा!

  6. भेदभाव मिटाकर एक साथ रहना है, आज एक-दूसरे को प्यार से हैप्पी होली कहना है।
  1. बैरी को भी प्यार से गले लगाना है, इस होली गिले-शिकवों को भूल जाना है। होली की बधाई!

  2. दोस्ती का साथ यूं ही निभाना, होली में खुशी से झूमते हुए नाचना और गाना। हैप्पी होली!

  3. भले ही आपको सुकून न मिले, आपका दिल जले, लेकिन दोस्त आज आप पर खूब रंग मलें।
  1. होली के रंगों के संग, जीवन में प्यार के रंग भर जाएं,
    आपके जीवन से हर परेशानी कोसों दूर चली जाए।
    Happy Holi 2023!
  1. होली में गोली मत देना, रंग खेलने जरूर आना, वरना हम आएंगे तो रंग में डुबोकर जाएंगे। हैप्पी होली रंग से डरने वाले दोस्त!

  2. पिचकारी, रंग और गुब्बारे सब हैं तैयार, बस दोस्त तेरा है इंतजार, आजा साथ मनाएं होली का त्योहार।

  3. दोस्त आज तुझपर प्यार लुटाना है, तुझे खूब रंग लगाना है, रंग-बिरंगे पानी से भरी पिचकारी से भिगोना है, पूरे साल का बदला आज ही लेना है।

  4. तेरी प्याली में थोड़ी भांग घोली है, फिजा में थोड़ी मस्ती जोड़ी है, बुरा न मानो होली है!

अपनों को इस होली पर शायरी और बधाई संदेश (Holi wishes quotes) भेजकर खुशियां बांटें और खुद भी मुस्कुराते रहें, क्योंकि होली है। आप इन संदेश व शायरियों को होली स्टेटस (holi status in hindi) के रूप में भी लगा सकते हैं। आपको होली की ढेर सारी शुभकानाएं। हैप्पी एंड सेफ होली 2023!

Panchtantra ki Kahani : खटमल और जूं | Khatmal Aur Joon Story in Hindi

स्वयंभू नाम के राज्य में राजा शेरगढ़ रहते थे। उनके कमरे में एक जूं  छुपकर रहती थी। उस जूं का नाम मंदरीसर्पिणी था। रात को जैसे ही राजा गहरी नींद में चला जाता, जल्दी से मंदरीसर्पिणी जूं राजा का खून चूस लेती थी। उसके बाद दोबारा छुप जाती।

कुछ दिनों बाद राजा के उसी कमरे में एक अग्निमुख नामक खटमल आ गया। मंदरीसर्पिणी जूं ने राजा के कक्ष को अपना क्षेत्र बताते हुए उसे वहां से किसी दूसरी जगह जाने को कहा। जूं बोली, मैं यहां तुम्हारा किसी तरह का दखल सहन नहीं करूंगी।

खटमल बड़ा चालाक था। उसने कहा, "मैं तुम्हारे इलाके में आया हूं, तो मैं तुम्हारा मेहमान हुआ। तुम इस तरह व्यवहार मत करो। आज रात मुझे मेहमान की तरह यहां रहने दो। कल मैं यहां से चला जाऊंगा।" 

मंदरीसर्पिणी जूं थोड़ी भोली थी। वो खटमल की प्यार भरी बातों में आ गई और कहा, "ठीक है! मैं तुम्हें यहां आज रात रुकने देती हूं। बस तुम राज का खून मत चूसना। एक मेहमान की तरह ही रहना।" 

खटमल ने पूछा, ‘‘तुम अपने मेहमान को भूखा रखोगी? मैं खाने में क्या खाऊंगा। राजा के खून के अलावा मुझे क्या मिलेगा?’’

कुछ देर सोचने के बाद जूं कहने लगी, ‘‘ठीक है! तुम अपनी भूख को शांत करने के लिए थोड़ी देर राजा का खून चूस लेना। बस उन्हें दर्द का एहसास नहीं होना चाहिए।’’

जूं की बातों पर सहमत होकर खटमल राजा के इंतजार में कमरे के एक कोने में बैठ गया। थोड़ी ही देर में राजा खाना खाकर सोने के लिए अपने कमरे पर पहुंचा। 

राजा जैसे ही पलंग पर लेटा खटमल उसके पास पहुंच गया। कुछ देर बाद खटमल ने राजा का खून चूसना शुरू कर दिया। खटमल का पेट तो भर गया था, लेकिन उसे राजा के खून का स्वाद बड़ा अच्छा लगा। 

अब खटमल ज्यादा खून चूसने के लिए राजा को जोर-जोर से काटने लगा। राजा को खटमल के जोर से काटने पर खुजली और हल्का दर्द होने लगा। गुस्से में राजा ने अपने सारे सेवकों को बुलाकर खटमल को ढूंढने का आदेश दिया।

खटमल चालाक था, इसलिए वो तेजी से पलंग की ओट पर छुप गया। सिपाहियों ने राजा के बिस्तर पर जूं को देखा और उसे मार डाला।

अब रोज खटमल बड़ी होशियारी से राजा का खून चूसता और शान से राजा के कमरे पर रहता था। अब उसे टोकने के लिए जूं भी जिंदा नहीं थी।

कहानी से सीख - किसी की भी जरूरत से ज्यादा प्यार भरी बातों को सुनकर सतर्क हो जाना चाहिए। ज्यादा मिठास हानिकारक होती है।  

Bachon ke liye Geeta ke shloka in Hindi

महाभारत युद्ध का आरम्भ होने के पहले श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए उसे श्रीमद्भगवद्गीता कहते हैं। गीता में कुल 18 अध्याय और 720 श्लोक हैं। गीता के कुछ प्रसिद्ध श्लोक इस प्रकार हैं -  

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 7)

जब-जब धर्म की हानि होगी और अधर्म की वृद्धि होगी, तब-तब मैं (श्रीकृष्ण) अवतार लेता रहूँगा। 

यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥

(तृतीय अध्याय, श्लोक 21)

श्रेष्ठ व्यक्ति का आचरण जैसा होता है, वैसा ही आचरण दूसरे इंसान करने लगते हैं। श्रेष्ठ पुरुष जैसा उदाहरण पेश करते हैं, सारा समाज उसी का अनुसरण करने लग जाता है।

नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत॥

(द्वितीय अध्याय, श्लोक 23)

आत्मा को न शस्त्र काट सकता है, न आग जला सकती है, न पानी भिगो सकता है, न हवा सुखा सकती है। अर्थ यह है कि आत्मा अमर है।

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन:।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 47)

कर्तव्य-कर्म ही तेरा अधिकार है, फल नहीं। तुम कर्म फल को मत सोचो और कर्म न करने में भी आसक्त न रहो।

ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 62)

विषयों वस्तुओं के बारे में सोचने से मनुष्य को आसक्ति होती है। इससे इच्छाएं पैदा होती हैं और कामनाओं में विघ्न आने से क्रोध उत्पन्न होता है।

क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 63)

क्रोध से मनुष्य की मती मारी जाती है, मति भ्रष्ट होने से स्मृति भ्रमित होती है। स्मृति-भ्रम होने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट होती है। बुद्धि का नाश होने पर मनुष्य खुद का नाश कर बैठता है।

पंचतंत्र : दुष्ट सर्प और कौवे की कहानी | Dusht Sarp Aur Kauve ki Kahani in Hindi

सोमपुर नाम के एक जंगल में बेहद पुराना बरगद का पेड़ था, जिसमें एक कौआ और उसकी पत्नी रहते थे। दोनों पति-पत्नी बड़े खुश थे। 

एक दिन बरगद के पेड़ के एक खोखले तने पर एक जहरीला सांप आ गया। सांप को वह जगह अच्छी लगने लगी, तो वही रहने लगा। 

एक दिन कौवे की पत्नी ने कुछ अंडे दिए। सांप को जैसे ही पता चला उसने वो अंडे खाकर अपना पेट भर लिया। सांप हमेशा इसी तरह कौवे के अंडे खा लेता था।

कौआ और उसकी पत्नी समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर कौन है, जो उनके साथ ऐसा कर रहा है। एक दिन कौवा और उसकी पत्नी दाना चुग कर बाहर घोंसले में लौटे। तभी उन्होंने देखा कि एक सांप उनके अंडे पर झपट रहा है।

पति-पत्नी अंडे बचा तो नहीं पाए, लेकिन कौवे ने अपनी पत्नी से कहा, "देखो! अब हमें दुश्मन का पता चल गया है। भले ही हम इन्हें नहीं बचा पाए, लेकिन आगे अपने बच्चों को बचा लेंगे।"

"हम अपना घोंसला सबसे ऊंची टहनी में बनाएंगे। इससे अंडे सुरक्षित रहेंगे। वहां सांप नहीं आएगा, क्योंकि उसे चील का डर रहेगा। 

कौवे की बात उसकी पत्नी ने मान ली। उन्होंने ऊंची टहनी में घोंसला बना लिया। कुछ समय बाद उन्होंने वहां अंडे दिए और उससे बच्चे भी निकल आए। दोबारा कौवों का जोड़ा खुशी-खुशी रहने लगा।

सांप को लगा कि उसके डर से कौवे उस पेड़ से चले गए। रोज कौवे और उसकी पत्नी को उसी बरगद पेड़ में आते हुए देख कुछ दिनों बाद सांप समझ गया कि ये यही रहते हैं।

एक दिन सांप पेड़ पर उनका घोंसला ढूंढते हुए ऊंचाई पर पहुंच गया। वहां कौवे के तीन छोटे-छोटे बच्चे थे, उन्हें वो सांप तेजी से खा गया।

कौआ और उसकी पत्नी जब लौटी, तो घोंसले में बच्चों के छोटे-छोटे पंख बिखरे हुए देखकर दोनों रोने लगे। कौवे की पत्नी ने कहा, "इसी तरह हमारे बच्चे को यह हमेशा खा जाएगा। हमें यहां से कही दूर चले जाना चाहिए।"

कौआ अपनी से बोला, "डरकर कहीं भाग जाना किसी समस्या का समाधान नहीं है। हमें अपने मित्र लोमड़ी के पास जाकर कोई उपाय पूछना चाहिए।"

दोनों लोमड़ी के पास गए और सांप की सारी हरकतों के बारे में बता दिया। लोमड़ी ने दोनों को हल्की आवाज में एक तरकीब बताई और कहा कि इसे कल ही अंजाम दे देना। 

अगले दिन कौवा सीधे उस सरोवर में पहुंचा जहां उस प्रदेश की राजकुमारी आती थी। वो अपनी सहेलियों के साथ वहां पानी में खेल रही थी। कौवे ने मौका देखकर राजकुमारी का सबसे पसंदीदा मोती का हार मुंह में दबा लिया।

जब राजकुमारी की सहेली ने उसे देखा, तो कौवा हल्की गति में आसमान में उड़ने लगा। राजकुमारी की सखी ने चिल्लाते हुए यह बात सिपाहियों को बताई। सिपाही कौवे का पीछा करते हुए बरगत के पेड़ के पास तक पहुंच गए।

कौवे ने बड़ी चालाकी से मोती का हार बरगद के उस तने पर डाल दिया, जहां सांप रहता था। माला को गिरता देख सिपाही उस तने की ओर बढ़ने लगे। 

सिपाहियों ने देखा कि वहां एक काला सांप है और उसी के पास मोती की माला गिरी हुई है। सारे सैनिक थोड़ा पीछे हुए और पेड़ के उस तने पर वार किया।

प्रहार होते ही सांप बौखलाते हुए बाहर निकला। मौका देखकर दूसरे सैनिकों ने उसे मार दिया और हार लेकर राजकुमारी को दे दिया।

इस तरह कौवे और उसकी पत्नी ने अपने दोस्त लोमड़ी की तरकीब की मदद सांप को मार दिया और अपने बच्चों की मौत का बदला ले लिया।

कहानी से सीख - बौखलाहट और दुख-दर्द में डूबे रहने से समस्या का समाधान नहीं निकलता है। इसके लिए सूझबूझ और अपनों की मदद लेनी चाहिए। 

नवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा | Navratri Katha in Hindi

एक समय की बात है, स्वर्गलोक में महिषासुर नामक दैत्य का आतंक फैला हुआ था। वह खुद को अमर करना चाहता था। इसके लिए उसने ब्रह्मदेव की कठिन तपस्या की। उसकी तपस्या से खुश होकर ब्रह्म देवता ने उससे उसकी मनोकामना पूछी। इसपर दैत्य महिषासुर ने खुद के लिए अमर होने का वरदान मांगा।

तब ब्रह्मा जी ने कहा, "ये संभव नहीं है। इस संसार में हर किसी की मौत लिखी है। तुम कोई दूसरा वरदान मांग लो।" 

ब्रह्मा भगवान की बातें सुनकर दैत्य बोला, "कोई बात नहीं।" फिर आप मुझे यह आशीर्वाद दीजिए कि मेरी मौत न किसी देवता, न किसी राक्षस और न किसी इंसान द्वारा हो। मेरी मौत किसी महिला के द्वारा हो।" ब्रह्मा जी ने उसे वरदान पूरा होने का आशीर्वाद दिया और वहां से चले गए।

इसके बाद दैत्य महिषासुर ने अपना आतंक फैलाना शुरू कर दिया। यह देख सभी देवता भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा के पास पहुंचे और उस राक्षस का अंत करने की गुहार लगाई। इसके बाद तीनों देवता ने अपनी शक्ति से एक आदि शक्ति का निर्माण किया, जिसे दुर्गा का नाम दिया गया।

देवी दुर्गा जब महिषासुर से युद्ध करने गईं तो महिषासुर उन्हें देख मोहित हो गया। उसके मन में दुर्गा से विवाह करने की इच्छा हुई। 

उसने दुर्गा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। इस पर देवी ने कहा, "अगर तुम मुझसे युद्ध में जीत जाते हो तो मैं तुम्हारा प्रस्ताव स्वीकार कर लूंगी।" 

देवी की शर्त सुनकर महिषासुर युद्ध के लिए राजी हो गया। दोनों के बीच यह लड़ाई 9 दिनों तक चली और अगले दिन यानी दसवें दिन देवी दुर्गा ने उसे मार दिया। तभी से यह नवरात्रि का त्योहार मनाया जाने लगा।

दुर्गा पूजा से जुड़ी 11 परंपराएं व मान्यताएं | Facts And Traditions Related To Durga Puja In Hindi

हिन्दू धर्म में नवरात्रि को विशेष दर्जा दिया गया है। इस दौरान हर कोई मां दुर्गा की आराधना में लीन रहता है। इस पर्व को मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं। आखिर नवरात्रि का त्योहार मनाया क्यों जाता है, इससे जड़ी परंंपराएं और दुर्गा पूजा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य यहां जानें।

सबसे पहले जानते हैं कि नवरात्र क्यों मनाया जाता है।

नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

नवरात्रि देश के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग कारणों से मनाई जाती है। यह पर्व दुर्गा पूजा के रूप में राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा के जीत का प्रतीक माना जाता है। देश के पश्चिमी भाग में गरबा और डांडिया के साथ धूमधाम से देवी दुर्गा की आराधना की जाती है। दक्षिण भारत में इसे आयुध पूजा के नाम से जाना जाता है।

चलिए अब हम आपको दुर्गा पूजा से जुड़ी मान्यता और कुछ परंपराओं के बारे में बताते हैं।

दुर्गा पूजा से जुड़ी 10+ परंपराएं व मान्यताएं | Facts And Traditions Related To Durga Puja For Kids In Hindi

नवरात्रि का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व के पीछे कई रोचक तथ्य और पारंपरिक मान्यताएं हैं। जानें दुर्गा पूजा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य व परंपराएं।

  1. 9 देवियों की पूजा - बताया जाता है कि मां दुर्गा जब महिषासुर का वध कर रही थी, तो हर दैत्य रूप को मारने में 9 दिन लगे थे। इसके लिए मां दुर्गा ने हर दिन अपना अलग रूप धारण किया और महिषासुर के सभी दैत्यों का अंत किया था। यही वजह है कि नवरात्रि 9 दिनों की होती है और हर दिन देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।
  1. मां दुर्गा की जन्म कहानी: पौराणिक कथाओं के मुताबिक, महिषासुर नामक राक्षस ने जब स्वर्ग लोग पर अपना कब्जा जमा लिया था तब वहां के सभी देवता अपनी समस्या की गुहार लेकर ब्रह्म देव, भगवान विष्णु और शिव जी के पास पहुंचे।

देवताओं के कष्टों को सुनने के बाद तीनों भगवान ने अपने शरीर में मौजूद ऊर्जा से एक आकृति का निर्माण किया, जिसमें तीनों ने अपनी शक्तियां उसमें डालीं और फिर उन्हें अपने-अपने शस्त्र भी दिए। इसके बाद उस आकृति को मां दुर्गा का नाम दिया गया। इस प्रकार से मां दुर्गा का जन्म हुआ।

  1. मां की तीन आंखें : बताया जाता है कि भगवान शिव की तीन आंखें थी। मां दुर्गा को भी शिव का आधा रूप माना जाता है। यही वजह है कि मां दुर्गा की भी तीन आंखें हैं, जो सूर्य, चांद और अग्नि का प्रतीक हैं। इसलिए उन्हें त्र्यंबके भी कहा जाता है।
  1. 8 भुजाओं का कारण : मां दुर्गा को अष्ट भुजाओं वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है।  कुछ शास्त्रों में देवी दुर्गा के दस भुजाओं का जिक्र भी मिलता है। दरअसल, हमारे वास्तु शास्त्र में 8 दिशाओं का जिक्र मिलता है। जबकि, कुछ जगहों पर 10 दिशाओं का वर्णन भी है।

इनमें पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, उत्तर पूर्वी, दक्षिण पूर्वी, दक्षिण पश्चिमी, उत्तर पश्चिमी के अलावा, आकाश की ओर, पाताल की ओर की दिशाएं भी शामिल हैं। हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक, मां दुर्गा अपने भक्तों की रक्षा हर दिशा में करती है। यही वजह है कि मां दुर्गा की 8 भुजाएं हैं और उन्हें अष्ट भुजाओं की देवी कहा जाता है।

  1. शेर की सवारी का कारण : शेर को मां दुर्गा की सवारी कहा जाता है। इसके पीछे की मान्यता है कि शेर के पास अद्वितीय शक्ति होती है और मां दुर्गा उस पर सवार होकर सभी राक्षसों का अंत करती हैं।
  1. उपवास का महत्व : नवरात्रि में लोग मां दुर्गा की आराधना के लिए उपवास भी रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान व्रत रखने से तन, मन और आत्मा शुद्ध हो जाती है। यही वजह है कि लोग अपने शुद्धिकरण के लिए नवरात्र में उपवास रखकर देवी दुर्गा की पूजा करते हैं।

ग्रंथों में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि नवरात्रि का व्रत रखने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं। इसलिए कई लोग 9 दिन सिर्फ पानी पीकर रहते हैं, तो कुछ लोग सिर्फ फल खाकर। वहीं, कुछ लोग सिर्फ सात्विक भोजन ही करते हैं।

  1. मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी: मां दुर्गी की प्रतिमा बनाने के लिए मिट्टी गंगा नदी के किनारे से ली जाती है। हिंदू धर्म में गंगा नदी को बहुत ही पावन माना जाता है और यही कारण है कि देवी मां की प्रतिमा के लिए गंगा की मिट्टी का उपयोग किया जाता है। गंगा नदी के किनारे की मिट्टी पुजारी के द्वारा लाई जाती है।
  1. 108 मंत्रों के जाप की मान्यता : दुर्गा पूजा को दशहरा के नाम से भी जाना जाता है, जो कि नवरात्रि के अंतिम दिन मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। बताया जाता है कि भगवान राम ने रावण से लड़ाई करने से पहले देवी दुर्गी की पूजा-अर्चना की थी।

    इस दौरान उन्होंने मां दुर्गा को 108 नीलकमल अर्पित किए थे। तभी से 108 को एक शुभ अंक माना जाता है और यही वजह है कि दुर्गा पूजा में 108 मंत्रों का जाप किया जाता है।
  1. 9 कन्याओं का पूजन : हमारे देश में शुरू से ही कन्याओं को देवी का दर्जा दिया जाता रहा है। ऐसी मान्यता है कि कन्याओं के बाल रूप में साक्षात मां दुर्गा रहती हैं। विशेषकर तब तक, जब तक उनका मासिक धर्म शुरू नहीं होता।

    यही कारण है कि दुर्गा पूजा के नवमी के दिन 9 कन्याओं की पूजा की जाती है। इसके अलावा, देवी दुर्गा खुद में ऊर्जा की प्रतिक हैं, इसलिए कन्याओं को भी उन्हीं का रूप माना जाता है। इस वजह से भी नवरात्र के अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन की जाती है।
  1. रावण दहन : नवरात्रि को मां दुर्गा की आराधना के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके अंतिम दिन यानी दशहरा के दिन रावण को जलाया जाता है। दरअसल, इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। रावण को बुराई का प्रतीक माना गया है। ऐसे में माना जाता है कि दशहरा के दिन रावण का पुतला दहन कर लोग अपने अंदर के अहंकार, लालच, क्रोध और अन्य प्रकार की बुराई को भी नष्ट कर देते हैं।
  1. नवरात्र से जुड़ा वैज्ञानिक तथ्य : ऊपर बताई गई मान्यताओं के अलावा, दुर्गा पूजा से जुड़े कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी हैं। ऐसा बताया जाता है कि पृथ्वी जब सूर्य के चक्कर काटती है तो इसमें एक साल लगते हैं, जिसमें कुल 4 संधियां होती हैं।

    इनमें मार्च और सितंबर के महीने में पड़ने वाली संधियों में वर्ष का दो प्रमुख नवरात्रि का त्योहार पड़ता है। यह ऐसा समय होता है जब संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है। इस दौरान शरीर को स्वस्थ और शुद्ध रखने के लिए नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है।
  1. मां के मायके आने का राज : बंगाल में ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के समय देवी दुर्गा अपने बच्चों के साथ मायके आती हैं। इस वजह से भी इन दिनों को त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

अब जानते हैं दुर्गा पूजा के दौरान किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।

दुर्गा पूजा के दौरान बच्चों व बड़ों द्वारा किए जाने वाले कुछ नियम

नवरात्रि के दौरान कुछ खास बातों का ख्याल रखना जरूरी है। यहां हम नवरात्र के दौरान पालन करने वाले नियम की जानकारी दे रहे हैं। तो नवरात्रि के दौरान भूल से भी न करें ये गलतियां -

  1. बाल न काटें : मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के दौरान बाल नहीं काटने चाहिए। इसके अलावा, दाढ़ी-मूछ बनवाने से भी परहेज करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से देवी दुर्गा रूठ जाती हैं। इसलिए नवरात्रि के दौरान बाल कटाने से बचने की कोशिश करें। इसके अलावा, अगर माता-पिता अपने बच्चे का मुंडन इस दौरान आयोजित करना चाहते हैं, तो ऐसा न करें।
  1. नाखून काटने से बचें : दुर्गा पूजा के दौरान नाखून काटने से भी परहेज करना चाहिए। दरअसल, नवरात्रि के दौरान नाखून काटना अशुभ माना जाता है। इसलिए, पूजा के दौरान नाखून न काटें। अगर संभव हो तो नवरात्र शुरू होने से पहले ही इस तरह के कार्य कर लें।
  1. कलश का अनादर न करें : नवरात्रि के दौरान जो लोग उपवास रखते हैं उनके घर में कलश की स्थापना की जाती है। इस दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है, जैसे - कलश को कभी भी अंधेरे में नहीं रखना चाहिए। इसके सामने हमेशा एक अखंड दीपक जलना चाहिए। इसके अलावा, बच्चों को इसे जैसे-तैसे छूने से मना करें।
  1. काले कपड़े न पहनाएं : ऐसा माना जाता है कि काले रंग से देवी दुर्गा क्रोधित हो जाती हैं। इसलिए, इस त्योहार के दौरान 9 दिनों तक काले रंग के वस्त्र पहनने से परहेज करने की सलाह दी जाती है। इसकी जगह लाल, गुलाबी, पीला, केसरिया, आदि जैसे रंगों के कपड़े पहन सकते हैं।
  1. नॉन वेज न खाएं : नवरात्रि के दौरान नॉनवेज का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि मांस के सेवन से राक्षस और भूत-प्रेत की पूजा करने वाले लोगों को बढ़ावा मिलता है। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि नवरात्र  के दौरान नॉनवेज का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, अगर वैज्ञानिक तथ्य देखा जाए तो मांसाहारी की तुलना में शाकाहारी लोग ज्यादा स्वस्थ रहते हैं (1)।
  1. दिन में सोने से बचें : अगर संभव हो तो नवरात्रि के दौरान दिन में सोने से बचें। खासकर तब जब घर में कलश स्थापना हुई हो। 

नवरात्र का पावन पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। इस दौरान लोग देवी दुर्गा की भक्ति में सराबोर रहते हैं। इस लेख में हमने नवरात्रि से जुड़ी मान्यताओं के बारे में बताया है। शुभ नवरात्रि!

Popular Posts