कबूतर और मधुमक्खी की कहानी | Bee And Dove Story In Hindi

सालों पहले रायवाला जंगल के किनारे एक नदी बहती थी। नदी के पास में ही एक आम का पेड़ था, जिसपर एक कबूतर रहता था। 

कुछ दिनों बाद एक मधुमक्खी रायवाला जंगल के पास उड़ रही थी और वो उड़ते-उड़ते नदी में जा गिरी। पानी की वजह से उसके पंख गीले हो गए और वो पानी से बाहर नहीं निकल पाई।

मधुमक्खी मदद के लिए चिल्लाने लगी। तभी पेड़ पर बैठा कबूतर उड़कर मधुमक्खी को बचाने के लिए नदी के पास पहुंचा। कबूतर ने अपनी चोंच में एक पत्ता लेकर उसे नदी में गिरा दिया।


पत्ता तैरते हुए जब मधुमक्खी के पास पहुंचा, तो वह उसपर बैठ गई। जब उसके पंख सूख गए, तो उसने कबूतर को धन्यवाद कहा और उड़ गई।


कुछ दिनों बाद वह कबूतर गहरी नींद में था। एक शैतान बच्चे ने उस कबूतर को देखा और उसे शरारत सूझी। उसने एक हाथ में पत्थर उठा लिया और कबूतर को मारने लगा। 


एक दिन कबूतर ने जिस मधुमक्खी की मदद की थी, उसने देख लिया कि लड़का कबूतर को नुकसान पहुंचाना चाहता है। 

मधुमक्खी ने सीधे जाकर लड़के के उस हाथ पर डंक मार दिया, जिसमें पत्थर था। डंक लगते ही उसके हाथ से पत्थर नीचे जा गिरा और वो चिल्लाने लगा। 


उसकी चीख सुनकर कबूतर की नींद खुल गई। कबूतर की नींद खुलते ही उसने बच्चे उसके पास मोटा पत्थर और मधुमक्खी को देखा। कबूतर समझ गया कि मेरी जान बचाने के लिए मधुमक्खी ने इस शरारती लड़के के हाथ पर डंक मारा है। 


इस बार कबूतर ने मधुमक्खी को अपनी जान बचाने के लिए धन्यवाद कहा और दाना ढूंढने के लिए आसमान की ओर उड़ गई। 


कहानी से सीख - मुसीबत में फंसे की मदद करना अच्छा कर्म है। यह अच्छा कर्म बाद में लौटकर जरूर आता है। 


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